Jawan Kisan Vision की शुरुआत
लाल बहादुर शास्त्री, भारत के तीसरे प्रधानमंत्री, ने 1965 में “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया। Jawan Kisan Vision उनकी सोच को दर्शाता है। 1965 के भारत-पाक युद्ध और खाद्य संकट के दौरान उन्होंने जवानों और किसानों को देश की रीढ़ बताया।
- युद्ध में नेतृत्व: 1965 में जवानों को प्रेरित किया।
- खाद्य आत्मनिर्भरता: किसानों को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।
- सादगी: सादा जीवन जीकर जनता के लिए उदाहरण बने। शास्त्रीजी की जीवनी. जवान और किसान Vision ने देश को एकजुट किया।
जवान और किसान: शास्त्रीजी का दृष्टिकोण
जवान और किसान Vision में शास्त्रीजी ने जवानों और किसानों को समान महत्व दिया। उन्होंने दोनों को राष्ट्र निर्माण का आधार माना।
- जवानों का सम्मान: युद्ध में सैनिकों की बहादुरी को प्रोत्साहन दिया।
- किसानों का उत्थान: हरित क्रांति की नींव रखी।
- एकता का संदेश: नारा देश को जोड़ने वाला बना। भारत-पाक युद्ध 1965. उनकी नीतियों ने देश को मजबूत किया।
शास्त्रीजी की सादगी और नेतृत्व
शास्त्रीजी की सादगी जवान और किसान Vision का हिस्सा थी। उन्होंने सादा जीवन जिया और देश के लिए बलिदान दिया।
- उपवास का आह्वान: खाद्य संकट में जनता से एक समय भोजन छोड़ने को कहा।
- ऋण चुकाने की मिसाल: मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने कार का ऋण चुकाया।
- ताशकंद समझौता: शांति के लिए अंतिम प्रयास किया। शास्त्रीजी का नेतृत्व. उनकी सादगी आज भी प्रेरित करती है।
Jawan Kisan Vision की प्रासंगिकता
Jawan Kisan Vision आज भी भारत के लिए प्रासंगिक है। शास्त्रीजी का दृष्टिकोण जवानों और किसानों को सशक्त करता है।
- सैन्य शक्ति: जवानों की बहादुरी देश की सुरक्षा की गारंटी।
- कृषि विकास: किसानों की मेहनत से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित।
- राष्ट्रीय एकता: उनकी सोच देश को एकजुट रखती है। भारत का इतिहास. शास्त्रीजी की विरासत प्रेरणा देती है।