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वाराणसी में श्रद्धालुओं ने मां कुष्मांडा के दर्शन कर जीवन की बाधाओं से मुक्ति पाई

मां कुष्मांडा दर्शन में श्रद्धालुओं की भीड़

वाराणसी (काशी) में शारदीय नवरात्र में श्रद्धालु मां कुष्मांडा दर्शन के लिए उमड़ पड़े। दुर्गाकुंड स्थित दरबार में आधी रात से भक्त अपनी बारी का इंतजार करते रहे। “सच्चे दरबार की जय” और “मां शेरा वाली के जयकारे” मंदिर परिसर में सुबह से गूंज रहे थे।

भव्य पूजा और श्रृंगार

मुख्य पुजारी के देखरेख में रात तीन बजे के बाद मां के विग्रह को पंचामृत स्नान कराया गया। नूतन वस्त्र और गहनों से भव्य श्रृंगार किया गया। भोग और वैदिक मंत्रोच्चार के बाद मंगला आरती हुई और भक्तों ने कतार में लगकर मत्था टेका।

भक्तों की अर्जी और श्रद्धा

महिलाओं ने नारियल, चुनरी और सिंदूर अर्पित कर संतति वृद्धि, समृद्धि और अखण्ड सौभाग्य की अर्जी लगाई। मंदिर परिसर में सुबह से दर्शनार्थियों की लम्बी कतार लगी रही, जिससे मेले जैसा दृश्य बना।

मंदिर की धार्मिक मान्यता

सनातन धर्म में माना जाता है कि मां कुष्मांडा दर्शन से जीवन की सभी बाधाएं, विघ्न और दुख दूर होते हैं। देवी के आठ भुजाओं में कमंडल, धनुष-बाण, कमल पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा हैं। मान्यता है कि सृष्टि की रचना मां कुष्मांडा ने अपने ‘ईषत’ हस्त से की थी।

ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व

यह मंदिर नागर शैली में निर्मित है और इसके गाढ़े लाल रंग के स्वरूप के कारण इसे आध्यात्मिक शक्तिपीठ माना जाता है। यहां प्रतिमा के स्थान पर मुखौटे और चरण पादुकाओं का पूजन होता है। बीस कोण की यांत्रिक संरचना पर मंदिर की आधारशिला रखी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी श्रद्धाभाव से मत्था टेक चुके हैं।

निष्कर्ष

मां कुष्मांडा दर्शन से भक्तों को जीवन की सभी भव बाधाओं से मुक्ति मिलती है और वे शक्ति आराधना में लीन होकर आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं।

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