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“भय बिनु होइ न प्रीति” आज भी प्रासंगिक : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रौनक कुमार

“भय बिनु होइ न प्रीति” आज भी प्रासंगिक : कुमार

धौलपुर, 29 सितंबर (हि.स.) – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के जिला प्रचारक रौनक कुमार ने कहा कि “भय बिनु होइ न प्रीति” आज भी प्रासंगिक है। यह विचार उन्होंने आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर स्थानीय महाराणा स्कूल, नृसिंह बस्ती में आयोजित विजयादशमी उत्सव के दौरान व्यक्त किए।

मुख्य वक्ता के रूप में उन्होंने संघ के सौ वर्षों के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्ष 1925 की विजया दशमी में नागपुर से आरंभ हुई संघ की यात्रा आज दुनिया के सबसे बड़े संगठन तक पहुंच चुकी है। रौनक कुमार ने बताया कि संघ का एकमात्र लक्ष्य भारत माता को विश्व गुरु के सिंहासन पर स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि समाज का संगठित होना और आसुरी शक्तियों पर विजय पाना ही संघ का उद्देश्य है।

उन्होंने यह भी बताया कि संघ के आनुषंगिक संगठनों द्वारा पूरे देश में सेवा के हजारों प्रकल्प चलाए जा रहे हैं, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कार्य शामिल हैं। शताब्दी वर्ष के अवसर पर संघ का लक्ष्य हर घर तक संघ कार्य पहुँचाना है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी अशोक रस्तोगी ने कहा कि संघ के 100 वर्षों के शताब्दी वर्ष में शामिल होना उनके लिए गौरव की बात है और उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों को धन्यवाद दिया।

उत्सव के शुभारंभ में अतिथियों ने प्रभु श्रीराम के चित्र पर माल्यार्पण और शस्त्र पूजन किया। अंत में स्वयंसेवकों ने भारत माता की प्रार्थना कर कार्यक्रम का समापन किया।

रौनक कुमार के अनुसार, विनम्रता से यदि बात नहीं बनती तो शक्ति का प्रयोग आवश्यक है। यही कारण है कि भय और प्रीति का यह सिद्धांत आज भी समाज और राष्ट्र के निर्माण में प्रासंगिक है।

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