ऐतिहासिक माता कर्ण देवी मंदिर
उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में यमुना नदी के तट पर स्थित माता कर्ण देवी मंदिर आस्था और इतिहास का अनूठा केंद्र है। यह मंदिर लगभग दो हजार वर्ष पुराना है और नवरात्र में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
राजा कर्ण और अद्भुत कथा
जनश्रुति के अनुसार, वैराग्य स्टेट के दानवीर राजा कर्ण ने इस प्राचीन मंदिर में माता कर्ण देवी की स्थापना कराई थी। माता के आशीर्वाद से उन्हें प्रतिदिन सवा मन सोना प्राप्त होता था, जिसे राजा दीन-दुखियों और प्रजा में दान कर देते थे। राजा कर्ण की तपस्या और भक्ति से माता प्रसन्न हुईं और उन्होंने यह अद्भुत वरदान दिया।
विक्रमादित्य और खंडित मूर्ति
मध्य प्रदेश के उज्जैन नरेश विक्रमादित्य भी इस रहस्य को जानने यहां आए। उन्होंने छलपूर्वक राजा कर्ण का रूप धारण कर पूजा की, लेकिन माता ने उन्हें पहचान लिया। क्रोध में विक्रमादित्य ने मूर्ति पर प्रहार कर इसे दो हिस्सों में विभाजित कर दिया। ऊपरी भाग उज्जैन ले जाया गया, जिसे आज ‘सिद्धि देवी’ के रूप में पूजित किया जाता है। शेष भाग यमुना तट स्थित माता कर्ण देवी मंदिर में स्थापित किया गया।
आस्था और श्रद्धालुओं की भीड़
खंडित मूर्तियों और ऐतिहासिक कथा के कारण आज भी श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं। मंदिर में नवरात्र के दौरान रामलीला और मेला का आयोजन भी किया जाता है। भक्त महसूस करते हैं कि मंदिर में प्रवेश करते ही माता कर्ण देवी की दिव्य आभा और भक्ति का अद्भुत संगम अनुभव होता है।