बच्चों की किडनी ट्यूमर पर शोध
नोएडा में सेक्टर 30 स्थित चाइल्ड पीजीआई किडनी ट्यूमर शोध कर रहा है। इसका उद्देश्य बच्चों में विल्म्स ट्यूमर को समय रहते पहचानकर कैंसर में बदलने से रोकना है।
बायोमार्कर्स की पहचान
शोध में बच्चों में ट्यूमर बनने वाले बायोमार्कर्स का पता लगाया जा रहा है। डॉ. दिनेश साहू ने बताया कि कुछ जीन म्यूटेशन से ट्यूमर बनता है। इस किडनी ट्यूमर शोध में 3 से 5 साल के बच्चों पर टेस्ट किए जा रहे हैं और नए बायोमार्कर्स खोजने की कोशिश की जा रही है।
सहयोग और तकनीक
इस शोध में केजीएमयू लखनऊ के डॉक्टर भी सहयोग कर रहे हैं। चाइल्ड पीजीआई ने जेनेटिक विश्लेषक मशीन लगाई है, जो बच्चों में किडनी ट्यूमर का शीघ्र निदान करने में मदद करेगी।
विल्म्स ट्यूमर – गंभीर स्थिति
डॉ. आकाश राज ने बताया कि विल्म्स ट्यूमर को नेफ्रोब्लास्टोमा भी कहा जाता है। यह छोटे बच्चों में सबसे आम किडनी कैंसर है। कई मामलों में पांच साल की उम्र से पहले इलाज जरूरी होता है।
भविष्य की दिशा
किडनी ट्यूमर शोध बच्चों के जल्दी निदान और बचाव के लिए महत्वपूर्ण कदम है। इस शोध से समय रहते उपचार की संभावना बढ़ेगी और विल्म्स ट्यूमर से होने वाले खतरे को कम किया जा सकेगा।