किट्टूर की रानी चेन्नम्मा: साहस और देशभक्ति की मिसाल
कर्नाटक की धरती पर 23 अक्टूबर 1778 को जन्मीं रानी चेन्नम्मा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआती वीरांगनाओं में शामिल हैं। वे किट्टूर राज्य की रानी थीं और अपनी असाधारण वीरता, नेतृत्व क्षमता और देशभक्ति के लिए जानी जाती हैं।
जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने ‘डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स’ के तहत किट्टूर को अपने अधीन करने की कोशिश की, तो रानी चेन्नम्मा ने हार मानने के बजाय सैनिकों का संगठन किया और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। हालांकि अंततः ब्रिटिश सैन्य शक्ति के आगे किट्टूर को हार माननी पड़ी और रानी को गिरफ्तार कर लिया गया।
रानी चेन्नम्मा का संघर्ष 1824 में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के विद्रोह से लगभग तीन दशक पहले हुआ। उनकी वीरता और साहस ने भारतवासियों को आज़ादी के लिए लड़ने की प्रेरणा दी। कर्नाटक में उन्हें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के समान सम्मान प्राप्त है।
महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएँ (संक्षिप्त)
- 1764: मीर कासिम बक्सर की लड़ाई में पराजित
- 1910: ब्लांश एस. स्कॉट, अमेरिका में अकेले हवाई जहाज उड़ाने वाली पहली महिला
- 1943: नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ‘झाँसी की रानी ब्रिगेड’ की स्थापना
- 2001: नासा का मार्स ओडिसी अंतरिक्ष यान मंगल की परिक्रमा पर
रानी चेन्नम्मा भारतीय इतिहास में नारी शक्ति, साहस और देशभक्ति का प्रतीक बनकर अमर हैं।