मंदिर चढ़ावे पर फिर उठी बहस
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित प्रसिद्ध श्री सांवलिया सेठ मंदिर का चढ़ावा एक बार फिर विवादों में आ गया है। जिले के कई गोशाला संचालकों ने मंदिर मंडल से आर्थिक सहायता देने की मांग उठाई है। उनका कहना है कि मंदिर को हर साल करोड़ों रुपये का दान प्राप्त होता है, इसलिए इस धन का कुछ हिस्सा गोसेवा के लिए भी दिया जाना चाहिए।
ज्ञापन सौंपकर रखी मांग
बुधवार को ऋषि मंगरी गोशाला अध्यक्ष अनिल ईनानी के नेतृत्व में संचालकों ने जिला कलक्टर आलोक रंजन को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इसमें बताया गया कि जिले में 43 अनुदानित, 12 प्रक्रिया में, और 15 गैर-अनुदानित गोशालाएं संचालित हैं। सीमित अनुदान के कारण इन संस्थानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
मंदिर नियमों के अनुसार सीमित खर्च
मंदिर विधान के अनुसार, चढ़ावे की राशि मंदिर परिसर और 16 गांवों के विकास कार्यों में ही खर्च की जा सकती है। पहले भी चढ़ावा राशि को मातृकुंडिया पैनोरमा निर्माण जैसे बाहरी प्रोजेक्ट्स में लगाने के प्रयासों का विरोध हुआ था।
प्रशासन का रुख
अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रभा गौतम, जो सांवलिया मंदिर मंडल की मुख्य कार्यपालक अधिकारी भी हैं, ने बताया कि मंदिर एक्ट के तहत केवल मंदिर क्षेत्र के 16 गांवों में विकास कार्यों की स्वीकृति दी जा सकती है। बाहर से आने वाले प्रस्तावों को सरकार और देवस्थान विभाग की मंजूरी के बाद ही अमल में लाया जा सकता है।
स्थानीय विरोध जारी
स्थानीय निवासियों और भक्तों का कहना है कि चढ़ावे की राशि को बाहर ले जाना मंदिर परंपरा के विरुद्ध है। पहले भी कांग्रेस और भाजपा दोनों शासनकालों में ऐसे प्रयास हुए हैं, जिनका भारी विरोध हुआ था।




