युवाओं को दिशा देती है गीता
प्रयागराज में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT) इलाहाबाद में “युवाओं के सर्वांगीण विकास में भारतीय ज्ञान परम्परा एवं श्रीमद्भागवत गीता की भूमिका” विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुई।
मुख्य अतिथि और संस्थान के निदेशक प्रो. मुकुल शरद सुतावने ने कहा कि गीता का महत्वपूर्ण योगदान युवाओं के समग्र विकास में है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में ऐसे विषयों का धीरे-धीरे समावेश किया जा रहा है।
गीता – सम्पूर्ण मानवता का ग्रंथ
प्रो. सुतावने ने कहा कि भारतीय ग्रंथ केवल किसी धर्म या सम्प्रदाय से जुड़े नहीं हैं, बल्कि वे सम्पूर्ण मानवता के लिए हैं। गीता जीवन में संतुलन, नैतिकता और आत्मविश्वास सिखाती है।
छात्रों को मिला कर्मयोग का संदेश
मुख्य वक्ता प्रो. विवेक निगम (पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, ABVP) ने छात्रों को गीता में वर्णित कर्म के सिद्धांत के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि गीता हमें परिणाम की चिंता किए बिना कर्म करने की प्रेरणा देती है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय सम्पर्क प्रमुख मनोज ने गीता के श्लोकों का अर्थ समझाते हुए कहा कि यह ग्रंथ आत्मबल और जीवन की स्पष्टता प्रदान करता है।
गीता से सीखने की प्रेरणा
इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आशुतोष कुमार सिंह ने छात्रों को नियमित रूप से गीता पढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि इससे जीवन में नई ऊंचाइयां प्राप्त की जा सकती हैं।
कार्यक्रम का समापन
अंत में छात्रों को “यथार्थ गीता” की प्रतियां वितरित की गईं। इस अवसर पर प्रो. मंदार सुभाष कार्यकर्ते, प्रो. कविंद्र कांडपाल समेत सैकड़ों शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।




