🌳 अमरकंटक के साल वनों में संकट
मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले स्थित अमरकंटक साल वनों में साल बोरर कीट का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। इस संक्रमण से हजारों साल वृक्ष सूखकर गिरने लगे हैं, जिससे पर्यावरणीय संतुलन पर खतरा मंडरा रहा है। यह स्थिति न केवल वनों बल्कि अमरकंटक की जलवायु और नदियों के स्रोतों के लिए भी गंभीर मानी जा रही है।
🐛 क्या है साल बोरर कीट
साल बोरर एक गुबरैला कीट है जो पेड़ की छाल में अंडे देकर तने को भीतर से खोखला कर देता है। इससे साल वृक्ष धीरे-धीरे सूख जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि संक्रमित वृक्षों को समय पर हटाया न गया, तो यह रोग महामारी का रूप ले सकता है।
🌿 पर्यावरण पर प्रभाव
अमरकंटक के साल वृक्ष न केवल हरियाली का प्रतीक हैं, बल्कि नर्मदा, सोन और जोहिला जैसी नदियों के जलस्रोतों को भी जीवन देते हैं। साल वृक्षों की पत्तियां नमी बनाए रखती हैं और मिट्टी के कटाव को रोकती हैं। इनका नाश अमरकंटक के पारिस्थितिक संतुलन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
🙏 संत समाज और नागरिकों की अपील
संत रामभूषण दास जी महाराज ने कहा कि हजारों साल वृक्षों का सूखना केवल वन संकट नहीं, बल्कि अमरकंटक के भविष्य से जुड़ा प्रश्न है। उन्होंने जिला प्रशासन से त्वरित कदम उठाने की मांग की है।
🧪 प्रशासन की तैयारी
वन विभाग ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। प्रभारी वनमंडल अधिकारी ने बताया कि वैज्ञानिकों की टीम जबलपुर से बुलाई जाएगी ताकि प्रकोप की सटीक सीमा और नियंत्रण उपाय तय किए जा सकें।


                                    

