सुरक्षाबलों की बदलती रणनीति
छत्तीसगढ़ में सरकार और सुरक्षा एजेंसियां मिलकर नक्सलवाद खत्म करने के लिए लगातार अभियान तेज कर रही हैं। मार्च 2026 की तय समय सीमा अब बहुत करीब है। सुरक्षाबलों की आक्रामक कार्रवाई से नक्सली संगठन बैकफुट पर आ गए हैं।
विकास मॉडल से ग्रामीणों का नजरिया बदला
अबूझमाड़ में कैंप स्थापना और सड़क, पानी, बिजली जैसी योजनाओं से विश्वास मजबूत हुआ है। ग्रामीण अब विकास को अपना अधिकार मान रहे हैं। इसी वजह से लोगों ने भी माना कि नक्सलवाद खत्म करना अब जरूरी और संभव है।
नक्सल संगठन की टूटती कमान
शीर्ष कैडर की मौत और लगातार आत्मसमर्पण से संगठन कमजोर हो गया है। कई नेता आत्मसमर्पण कर चुके हैं। यह पूरा बदलाव स्पष्ट संकेत देता है कि आने वाले महीनों में नक्सलवाद खत्म होने की प्रक्रिया और तेज होगी।
सुरक्षा एजेंसियों का स्पष्ट संदेश
बस्तर आईजी ने कहा कि हिंसा छोड़कर आने वालों का स्वागत है। लेकिन कोई भी हिंसा जारी रखेगा तो कठोर कार्रवाई होगी। सुरक्षा बलों का लक्ष्य है कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म कर स्थायी शांति स्थापित की जाए।
परिणाम अब जमीन पर दिख रहे हैं
लगभग 2000 से अधिक नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। अब सिर्फ कुछ मुख्य कमांडर बचे हैं। आने वाले समय में छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में स्थायी विकास और सुरक्षा दोनों दिखाई देंगे। यह बदलाव भारत में नक्सलवाद खत्म करने की ऐतिहासिक प्रक्रिया को मजबूत बना रहा है।




