अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर गंभीर आरोप
Al Falah University Land एक बार फिर चर्चा में है।
पहले यहां आतंकी साजिश के आरोप लगे थे।
अब जमीन अधिग्रहण और निर्माण नियमों के उल्लंघन का मामला सामने आया है।
यूनिवर्सिटी के चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी पर कई गंभीर आरोप लगे हैं।
प्रशासन हरकत में आया
- राजस्व विभाग और टाउन प्लानिंग एन्फोर्समेंट टीम ने जांच शुरू की।
- नायब तहसीलदार करण सिंह टीम के साथ यूनिवर्सिटी पहुंचे।
- उन्होंने जमीन, अधिग्रहण और निर्माण से जुड़े सभी रिकॉर्ड जुटाए।
- इन रिपोर्टों का मिलान विभागीय रिकॉर्ड से किया जाएगा।
- इसके बाद आगे की कार्रवाई तय होगी।
ग्रामीणों के Al Falah University Land पर बड़े आरोप
- ग्रामीणों का कहना है कि 1990 से जमीन खरीदी गई।
- पहले 30 एकड़ में इंजीनियरिंग कॉलेज बना।
- फिर आसपास की जमीन खरीदने का सिलसिला बढ़ता गया।
- आरोप है कि कई पारंपरिक खेतों के रास्ते रोक दिए गए।
- किसानों को अपने खेत तक पहुंचने में दिक्कत होने लगी।
- ग्रामीण दावा करते हैं—यह दबाव बनाकर जमीन सस्ती कराने की रणनीति थी।
किसानों की शिकायतें क्यों नहीं सुनी गईं?
- किसानों ने कई बार शिकायत की थी।
- प्रशासन ने संज्ञान भी लिया।
- पर राजनीतिक दबाव के कारण कार्रवाई नहीं हो पाई।
- इससे ग्रामीणों में रोष बढ़ा।
यूनिवर्सिटी की जमीन का पूरा ब्योरा
यूनिवर्सिटी के पास 76 एकड़ जमीन है।
नक्शे में कई महत्वपूर्ण भवन दिखते हैं—
- इंजीनियरिंग बिल्डिंग
- वर्कशॉप
- मोर्चरी
- अस्पताल
- हॉस्टल
- डायनिंग एरिया
- मेडिकल ब्लॉक
- एंटॉमी बिल्डिंग
दो बड़े प्रवेश द्वार भी बनाए गए हैं।
टाइमलाइन: कैसे बढ़ा विवाद?
- 1995: अल-फलाह ट्रस्ट बना
- 1996: अल-फलाह इन्वेस्टमेंट लिमिटेड शुरू
- 1997: इंजीनियरिंग कॉलेज बना
- 2013: नैक से A ग्रेड मिला
- 2014: यूनिवर्सिटी मान्यता मिली
- 2019: मेडिकल कॉलेज शुरू
यूनिवर्सिटी में करीब 1500 विद्यार्थी पढ़ते हैं।
कई फैकल्टी और 150 कश्मीरी छात्र भी हैं।
गांव के रास्ते पर कब्जे का आरोप
- धौज पंचायत ने भी एक बड़ा आरोप लगाया है।
- उनका कहना है कि 22 मीटर चौड़ी सड़क का लगभग 1 किलोमीटर हिस्सा कब्जा किया गया।
- यह रास्ता टीकरी खेड़ा और धौज गांव के बीच था।
- ग्रामीणों का दावा—इस रास्ते को यूनिवर्सिटी परिसर में शामिल कर लिया गया।
- यह मामला अभी अदालत में चल रहा है।



