एसबीआई महिला अधिकारी की आत्महत्या मामला गहराया
जबलपुर, 18 नवंबर। एसबीआई की सहायक प्रबंधक आरती शर्मा की आत्महत्या ने कार्यस्थल पर महिला सुरक्षा और शिकायत निवारण तंत्र की संवेदनशीलता पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। आरती ने उत्पीड़न की शिकायत की थी, लेकिन उसे न तो समय पर सुनवाई मिली और न ही सुरक्षा। अब उनकी मौत के बाद बैंक के तीन वरिष्ठ अधिकारियों पर गंभीर आरोप सामने आए हैं।
गरिमा पोर्टल पर शिकायत, फिर भी नहीं हुई कार्रवाई
शिकायत के अनुसार, आरती शर्मा ने 29 मार्च 2025 को गरिमा पोर्टल पर मानसिक और लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत दर्ज की थी। आरोपित तत्कालीन डिप्टी मैनेजर अभय प्रसाद थे। दावा है कि शिकायत 21 अप्रैल को शीर्ष अधिकारियों तक पहुँच गई थी, लेकिन डीजीएम हरिराम सिंह और सीएमएचआर प्रशांत सिंह ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि शिकायत को जानबूझकर दबाया गया और आरोपी को संरक्षण दिया गया। इससे आरती लगातार तनाव में रहीं और 26 अप्रैल को उन्होंने आत्महत्या कर ली।
बैकडेटेड नोटिंग का गंभीर आरोप
सबसे चौंकाने वाला आरोप यह है कि आरती की मौत के बाद बैंक ने 30 अप्रैल की बैकडेटेड नोटिंग तैयार की, जिससे ऐसा लगे कि जांच पहले पूरी कर ली गई थी। शिकायतकर्ता ने इसे साक्ष्यों से छेड़छाड़ बताते हुए बीएनएस की कई धाराओं में एफआईआर की मांग की है।
बैंक का पक्ष संदिग्ध, बयान विरोधाभासी
जब टीम ने एसबीआई मुख्यालय से प्रतिक्रिया चाही, तो डीजीएम उपलब्ध नहीं मिले। सीएमएचआर प्रशांत सिंह कैमरे पर बोलने से बचते रहे और कई विरोधाभासी बातें कहीं—
- पहले कहा, शिकायत पोर्टल पर दर्ज ही नहीं हुई
- फिर कहा, POSH कमेटी ने जांच कर ली
- बाद में बताया, आरोपी की वेतन वृद्धि रोकी गई
इन बयानों ने जांच की निष्पक्षता पर संदेह बढ़ा दिया है।
पुलिस ने निष्पक्ष जांच के आदेश दिए
एसपी संपत उपाध्याय ने कहा कि शिकायत मिल चुकी है और जांच शुरू है। जांच में सामने आने वाले हर दोषी पर कानूनी कार्रवाई होगी।
निष्कर्ष
एसबीआई महिला अधिकारी आत्महत्या का यह मामला कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा, शिकायत तंत्र की संवेदनशीलता और अधिकारियों की जवाबदेही का बड़ा प्रश्न बन गया है। अब शहर और बैंकिंग क्षेत्र पुलिस जांच के नतीजों का इंतजार कर रहा है।




