भोपाल, 26 नवम्बर (हि.स.)। मध्य प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को संविधान दिवस बड़े सम्मान और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि भारत का संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि ‘‘देश की आत्मा, आदर्शों और लोकतांत्रिक मूल्यों को दर्शाने वाला एक जीवंत ग्रंथ’’ है।
देवड़ा ने बताया कि संविधान को तैयार करने में कोई जल्दबाजी नहीं की गई। संविधान सभा ने इसे बनाने में 2 साल 11 महीने 18 दिन का समय लिया और कुल 114 बैठकें आयोजित हुईं। उन्होंने संविधान की मूल प्रति को ‘‘कलात्मक धरोहर’’ बताते हुए कहा कि इसे हाथ से लिखा गया था और आज भी संसद की लाइब्रेरी में सुरक्षित रखा गया है।
संविधान सभा में विविधता और महिलाओं की अहम भूमिका
देवड़ा ने बताया कि संविधान सभा में 15 महिला सदस्य थीं, जिनमें सरोजिनी नायडू, विजयलक्ष्मी पंडित, दुर्गा बाई देशमुख और हंसा मेहता जैसी प्रभावशाली महिलाओं का योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा। उन्होंने कहा कि संविधान समय के साथ विकसित होता रहता है और समाज की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप संशोधन किए जाते रहे हैं।
मौलिक अधिकार, कर्तव्य और न्याय की व्याख्या
कार्यक्रम में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों और संविधान में निहित न्याय की अवधारणा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संविधान केंद्र और राज्यों के बीच सामंजस्य का आधार है।
‘‘भारत की ताकत संविधान है’’ — मुख्य सचिव
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कहा कि अनेक देश आज़ादी के बाद अस्थिर हो गए, लेकिन भारत मजबूत लोकतंत्र इसलिए है क्योंकि उसकी नींव संविधान पर टिकी है। उन्होंने गौरव व्यक्त किया कि संविधान निर्माण में 29 सदस्य मध्य प्रदेश से थे।




