धर्मांतरण विवाद के बीच 36 घंटे तक पड़ा रहा शव
पश्चिम मेदिनीपुर, 01 दिसंबर (हि.स.)। पश्चिम मेदिनीपुर जिले के डेबरा के जालिमांदा क्षेत्र स्थित गोपालपुर गांव में धर्मांतरण को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। चार साल पहले हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई बने सुबल बेसरा (42) की शनिवार सुबह हार्ट अटैक से मौत हो गई। लेकिन यह तय न होने के कारण कि उनका अंतिम संस्कार किस धर्म के अनुसार होगा, शव 36 घंटे तक घर में ही पड़ा रहा।
ईसाई समुदाय ने मदद से किया इनकार
परिजनों के अनुसार, सुबल की मां सबसे पहले ईसाई समुदाय के प्रमुख रबी सोरेन के घर सहायता मांगने गईं। आरोप है कि रबी सोरेन और उनके परिवार ने किसी भी प्रकार की मदद से मना कर दिया। उनका कहना था कि सुबल का परिवार लंबे समय से धार्मिक गतिविधियों में शामिल नहीं था।
आदिवासी समाज आगे आया, लेकिन समाधान नहीं निकला
इसके बाद सुबल की मां आदिवासी समाज के मुखिया रवींद्रनाथ किस्कू से मिलीं। आदिवासी समाज ने स्थिति पर चर्चा की और ईसाई समुदाय से अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी लेने का आग्रह किया। लेकिन समुदाय ने दोबारा भी साफ मना कर दिया, जिससे विवाद और बढ़ गया।
प्रशासन के हस्तक्षेप से हुआ समाधान
विवाद बढ़ने पर पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी और जिला परिषद की कर्माध्यक्ष शांति टुडू मौके पर पहुंचे। करीब दो घंटे की बैठक और समझाने के बाद ईसाई समुदाय सुबल के अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुआ। रविवार देर शाम ईसाई रीति से अंतिम संस्कार किया गया।
स्थानीय नेताओं ने क्या कहा
आदिवासी युवा नेता सुनिल बेसरा ने कहा,
“गांव में कुछ परिवारों को बहला–फुसलाकर धर्मांतरण कराया गया था। लेकिन मृत्यु के बाद उनके समुदाय ने साथ नहीं दिया। बातचीत से समाधान निकाला गया।”
जिला परिषद की कर्माध्यक्ष शांति टुडू ने कहा,
“धर्मांतरण को लेकर इन इलाकों में अक्सर विवाद होते हैं। प्रशासन ने स्थिति को शांतिपूर्वक सुलझाया।”




