मामलों की मॉनिटरिंग के लिए हाईकोर्ट सख़्त
जयपुर, 2 दिसंबर (हि.स.)।
राजस्थान में सांसदों और विधायकों (एमपी–एमएलए) के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को अब केस ऑफिसर स्कीम में शामिल कर लिया गया है। राज्य सरकार ने यह जानकारी सोमवार को हाईकोर्ट में पेश की, जिसे रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने मामला जनवरी के प्रथम सप्ताह में फिर सूचीबद्ध करने के आदेश दिए।
यह सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान के तहत की गई। सुनवाई जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस रवि चिरानिया की खंडपीठ द्वारा की गई।
सरकार ने बताया— सभी मामलों में केस ऑफिसर नियुक्त
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद अदालत में उपस्थित हुए। उन्होंने बताया कि—
- एमपी–एमएलए से जुड़े सभी पुलिस मामलों को केस ऑफिसर स्कीम में शामिल किया गया है।
- इन मामलों में केस ऑफिसर की नियुक्ति भी कर दी गई है।
- कुछ मामले सीबीआई के पास हैं, इसलिए उन पर राज्य सरकार का हस्तक्षेप संभव नहीं है।
हाईकोर्ट पहले ही दे चुका है निर्देश
हाईकोर्ट ने पहले ही निचली अदालतों से कहा था कि—
- एमपी–एमएलए के आपराधिक मामलों की ट्रायल जल्द पूरी की जाए।
- राज्य सरकार यह बताए कि कौन सा केस कितने वर्षों से लंबित है और उसकी वर्तमान स्थिति क्या है।
सरकार ने यह भी बताया था कि—
- इन मामलों की नियमित मॉनिटरिंग हो रही है।
- ट्रैकिंग के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी हिदायत
नवंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि—
- हाईकोर्ट इन मामलों की मॉनिटरिंग करे।
- जरूरत होने पर एमपी–एमएलए के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालत भी गठित की जाए।
- ट्रायल कोर्ट नियमित प्रगति रिपोर्ट हाईकोर्ट को भेजें।
अदालत अब जनवरी में सरकार की विस्तृत प्रगति रिपोर्ट मांगेगी।




