किसानों से अपील: पराली लेकर आएं, गौशालाओं से गोबर की प्राकृतिक खाद ले जाएं
प्रयागराज, 4 दिसंबर। किसानों की खेत उपज बढ़ाने और मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रदेश सरकार ने “पराली के बदले खाद” योजना शुरू की है। इस योजना के तहत किसान अपनी पराली देकर गौशालाओं से गोबर से तैयार प्राकृतिक खाद ले सकते हैं। यह जानकारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. शिवनाथ यादव ने गुरुवार को दी।
उन्होंने बताया कि पराली को न जलाकर गौशालाओं में देने से न केवल पर्यावरण प्रदूषण घटेगा, बल्कि किसानों को उच्च गुणवत्ता की जैविक खाद भी आसानी से उपलब्ध हो सकेगी। गोबर से तैयार देशी खाद खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़ाती है और फसल की उत्पादकता में सुधार करती है।
सभी विकास खंडों में प्राकृतिक खाद उपलब्ध
डॉ. यादव ने कहा कि प्रयागराज के सभी विकास खंडों—मदनसराय, मऊआइमा, फूलपुर, सोरांव, होलागढ़, कौड़िहार, श्रृंगवेरपुर, सहसों, प्रतापपुर, हण्डिया, बहादुरपुर, बारा, चाका, उरुवा, मेजा, करछना, कोरांव, शंकरगढ़ और कौंधियारा की गौशालाओं में पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक खाद उपलब्ध है।
किसानों के लिए दोहरा लाभ
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस योजना से किसानों को गोबर की मुफ्त या रियायती प्राकृतिक खाद मिलेगी, जबकि गौशालाओं को पराली मिलने से गोवंश के लिए चारे की उपलब्धता बढ़ेगी। इससे दोनों पक्षों को लाभ मिलता है।
डॉ. यादव ने किसानों से अपील करते हुए कहा,
“खेत की मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए प्राकृतिक देशी खाद का प्रयोग करें। पराली लेकर गौशालाओं में आएं और बदले में गोबर से बनी जैविक खाद ले जाएं।”
यह पहल पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती के प्रोत्साहन और गौशालाओं के प्रबंधन—तीनों दिशाओं में सकारात्मक असर डालने वाली है।




