राजस्थान में शॉर्ट-टर्म परमिट से हो रहे खनन पर रोक, हाईकोर्ट ने कहा—अवैध खनन पर माइनिंग इंजीनियर होंगे जिम्मेदार
जोधपुर, 4 दिसंबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने अवैध खनन पर बड़ी कार्रवाई करते हुए पूरे राज्य में शॉर्ट-टर्म परमिट (एसटीपी) से चल रही खनन गतिविधियों पर अगली सुनवाई तक तुरंत रोक लगा दी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस बलजिंदर सिंह संधू की खंडपीठ ने यह सख्त आदेश जारी किया।
खंडपीठ ने कहा कि परमिट की अवधि समाप्त होने के बाद भी कई कंपनियां खनन जारी रखती हैं और विभाग का उस पर कोई नियंत्रण नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट चेतावनी दी—
“जहां भी अवैध खनन पाया जाएगा, संबंधित माइनिंग इंजीनियर व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।”
इसके साथ ही कोर्ट ने प्रदेश की पुलिस को निर्देश दिया कि अगर कहीं शॉर्ट-टर्म परमिट चलते पाए जाएँ, तो पुलिस तुरंत खदानें सीज करे और माइनिंग विभाग उनका प्रभार ले।
यह आदेश फलोदी जिले के लोहावट तहसील के गांव आमला के तीन ग्रामीणों—मूलाराम, हीराराम और रायमल सिंह—द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। याचिका में मैसर्स मांगीलाल मागाराम और विक्रमादित्य सिंह द्वारा किए जा रहे खनन को अवैध बताया गया था।
सुनवाई में कोर्ट ने पाया कि राज्य सरकार कई कंपनियों को शॉर्ट-टर्म परमिट देती है, लेकिन ये कंपनियां परमिट की अवधि खत्म होने के बाद भी बड़े पैमाने पर खनन जारी रखती हैं। कोर्ट ने टिप्पणी की—
“एसटीपी की प्रक्रिया प्रथम दृष्टया गलत प्रतीत होती है और यही अवैध खनन की वजह बन रही है। विभाग का कोई वास्तविक नियंत्रण नहीं है।”
कोर्ट का यह निर्देश पूरे राजस्थान में लागू होगा और इसका उद्देश्य अवैध खनन पर कड़ी रोक लगाना है। अगली सुनवाई में राज्य सरकार से विस्तृत जवाब तलब किया जाएगा।




