आईओसी ने रूस-बेलारूस की युवा टीमों के लिए दिखाई नरमी
जिनेवा, 12 दिसंबर (हि.स.)।
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने रूस और बेलारूस की खेल दुनिया में चरणबद्ध वापसी का रास्ता खोलते हुए गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघों को नया सुझाव दिया है। समिति ने सिफारिश की है कि दोनों देशों की युवा टीमों और खिलाड़ियों को राष्ट्रीय झंडे और राष्ट्रगान के साथ अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने की अनुमति दी जाए।
खिलाड़ियों के ‘मूल अधिकार’ पर जोर
आईओसी ने कहा कि खिलाड़ियों का यह “मूल अधिकार” है कि वे राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त होकर खेल सकें। समिति का कहना है कि कई देशों—विशेषकर रूस और इज़राइल—में हाल के दिनों में खिलाड़ियों को भेदभाव का सामना करना पड़ा है, ऐसे में यह कदम खेल के मूल्यों को पुनर्स्थापित करेगा।
यह नीति परिवर्तन “ओलंपिक समिट” की बैठक में तय किया गया, जिसकी अध्यक्षता ओलंपियन किर्स्टी कोवेंट्री ने की। इस रणनीति के अनुसार प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय महासंघ यह तय करेगा कि ‘युवा इवेंट’ की परिभाषा क्या होगी।
अब भी मेजबानी पर रोक, लेकिन भागीदारी को हरी झंडी
आईओसी ने स्पष्ट किया कि रूस अभी किसी अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन की मेजबानी नहीं कर सकेगा। लेकिन खिलाड़ियों की भागीदारी पर लगाया गया सख्त प्रतिबंध नरम किया जा रहा है। यह नीति डकार 2026 यूथ ओलंपिक गेम्स पर भी लागू की जा सकती है।
रूस की ओलंपिक समिति अभी निलंबित है और पिछली बार पेरिस ओलंपिक में रूसी खिलाड़ियों को झंडा-गान के बिना न्यूट्रल स्टेटस में उतरना पड़ा था।
फरवरी 2022 के बाद पहला बड़ा बदलाव
यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस और बेलारूस को फुटबॉल, एथलेटिक्स सहित अधिकांश अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से बाहर कर दिया गया था। यह पहली बार है जब आईओसी ने इतनी स्पष्ट नरमी की तरफ कदम बढ़ाया है।
पिछली कोशिशें विवादित रही थीं
2023 में यूएफा ने रूसी अंडर-17 टीमों को पुनः शामिल करने की कोशिश की थी, लेकिन 12 से अधिक देशों के बहिष्कार की धमकी के बाद उसे अपना निर्णय वापस लेना पड़ा था।




