श्रीनगर, 12 दिसंबर (हि.स.)।
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के नेवा क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक बुलबुल नाग झरना लगातार दूसरे वर्ष पूरी तरह सूख गया है। इस झरने पर लंबे समय से पीने और घरेलू जरूरतों के लिए निर्भर हजारों लोगों के सामने अब गंभीर जलसंकट खड़ा हो गया है। नेवा, परिगाम, काकापोरा और आसपास के कई गांवों में पानी की भारी कमी से लोगों का दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
स्थानीय निवासी मुश्ताक अहमद कहते हैं,
“हमने कभी सोचा भी नहीं था कि बुलबुल नाग इस हालत में आ जाएगा। अब हम पानी के टैंकरों का इंतजार करते हैं जो कई दिनों बाद आते हैं।”
लोगों का आरोप है कि पिछले वर्ष भी झरना सूखने के बाद प्रशासन ने वैकल्पिक जलस्रोत या स्थायी सप्लाई सिस्टम विकसित करने का आश्वासन दिया था, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया। स्थानीय महिला मुमताज़ ने कहा,
“हमें हर बाल्टी पानी सोच-समझकर खर्च करना पड़ता है। यह रोज़ की लड़ाई बन चुकी है।”
अधिकारियों ने झरने के सूखने की वजह कम वर्षा, बदलते भूजल पैटर्न और मौसम में लंबे सूखे को बताया है। हालांकि स्थानीय निवासियों का कहना है कि कुप्रबंधन और संरक्षण की कमी भी बड़ा कारण है।
कभी साफ़, ठंडे और निरंतर बहाव वाला बुलबुल नाग आज पूरी तरह सूखी जमीन में बदल चुका है। इस महीने भी सूखा मौसम रहने का अनुमान है, जिससे संकट और गंभीर हो सकता है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल कदम उठाने की मांग की है। उनकी प्रमुख मांगें हैं—
- बुलबुल नाग झरने को पुनर्जीवित करने के उपाय
- नियमित पानी के टैंकर
- नई पाइपलाइन बिछाने और वैकल्पिक जलस्रोत विकसित करने की योजना
लोगों का कहना है कि क्लाइमेट चेंज के इस दौर में ऐसी स्थितियां आम होती जा रही हैं, इसलिए दीर्घकालिक समाधान अब अनिवार्य है।




