विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में AIMIM की सक्रियता, तृणमूल कांग्रेस की बढ़ी चिंता
कोलकाता, 13 दिसंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) ने राज्य में अपनी राजनीतिक सक्रियता तेज कर दी है। खासतौर पर अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में पार्टी के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर पहुंचकर संगठन विस्तार में जुटे हैं, जिससे तृणमूल कांग्रेस (TMC) की चिंता बढ़ गई है।
बिहार विधानसभा चुनाव में पूर्णिया और किशनगंज की पांच सीटों पर जीत के बाद AIMIM अब बंगाल में भी उसी मॉडल को लागू करने की कोशिश कर रही है। बंगाल से सटे इन इलाकों की सफलता को पार्टी एक सकारात्मक संकेत मान रही है। इसी के तहत बूथ स्तर तक संगठन निर्माण और घर-घर संपर्क अभियान चलाया जा रहा है।
वक्फ कानून बना बड़ा मुद्दा
AIMIM कार्यकर्ता खासतौर पर वक्फ कानून को लेकर तृणमूल कांग्रेस पर हमला बोल रहे हैं। पार्टी का आरोप है कि पहले विरोध और फिर कानून लागू करने से मुस्लिम समाज में भ्रम और नाराजगी फैली है। चाय की दुकानों और मोहल्ला बैठकों में AIMIM कार्यकर्ता TMC पर अल्पसंख्यकों को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगा रहे हैं।
TMC और CPM से AIMIM में शामिल हो रहे कार्यकर्ता
हाल के दिनों में मुर्शिदाबाद, मालदह, दक्षिण दिनाजपुर और चांचल जैसे इलाकों में सैकड़ों कार्यकर्ता TMC और CPM छोड़कर AIMIM में शामिल हुए हैं। अकेले चांचल क्षेत्र में 300 से अधिक तृणमूल कार्यकर्ताओं के AIMIM में जाने की खबर है।
ममता बनर्जी का बयान और राजनीतिक हलचल
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में एक जनसभा में कहा था, “एक नया मुसलमानों का दल आया है”, जिसे AIMIM की ओर सीधा संकेत माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बंगाल में करीब 30 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं, जिनका बड़ा हिस्सा अब तक तृणमूल के साथ रहा है।
AIMIM नेताओं का दावा है कि पार्टी सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। वहीं भाजपा और तृणमूल दोनों दल AIMIM की इस बढ़ती मौजूदगी को लेकर सतर्क नजर आ रहे हैं।




