भोपाल में आज से सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वन मेले का आयोजन, मुख्यमंत्री डॉ. यादव करेंगे शुभारंभ
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आज से सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वन मेले का भव्य शुभारंभ होने जा रहा है। लाल परेड ग्राउंड में आयोजित इस मेले का उद्घाटन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज बुधवार शाम 5 बजे करेंगे। यह मेला 17 से 23 दिसंबर तक चलेगा और इसका आयोजन “समृद्ध वन, खुशहाल जन” थीम पर किया जा रहा है।
शुभारंभ अवसर पर होंगे विशेष विमोचन
उद्घाटन समारोह के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव “लघु वनोपज हमारी शान” गान का विमोचन करेंगे। साथ ही एमएफपी-पार्क के लोगो का अनावरण और एमएफपी-पार्क द्वारा निर्मित वेलनेस किट का विमोचन भी किया जाएगा।
कई मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी रहेंगे उपस्थित
जनसम्पर्क अधिकारी केके जोशी के अनुसार इस अवसर पर खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास कैलाश सारंग, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार, अपर मुख्य सचिव एवं प्रशासक मध्य प्रदेश राज्य लघु वनोपज अशोक बर्णवाल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक व्ही.एन. अम्बाडे और प्रबंध संचालक डॉ. समीता राजौरा सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे।
वन विभाग और लघु वनोपज संघ का संयुक्त आयोजन
यह अंतरराष्ट्रीय वन मेला वन विभाग और मध्य प्रदेश राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी संघ मर्यादित के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। मेले का उद्देश्य वन संसाधनों के सतत उपयोग, लघु वनोपज के महत्व और जनजातीय संस्कृति को बढ़ावा देना है।
सात दिनों तक होंगे विविध कार्यक्रम
मेले के दौरान प्रतिदिन विभिन्न सांस्कृतिक, शैक्षणिक और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं—
- 17 दिसंबर: डिण्डोरी का पारम्परिक नृत्य
- 18 दिसंबर: स्टार्ट-अप कॉन्क्लेव, पारम्परिक वैद्य कार्यशाला, योगा शो, कथक नृत्य
- 19 दिसंबर: फैंसी ड्रेस, ध्रुपद गायन, कबीर वाणी, सूफी संगीत
- 20 दिसंबर: चित्रकला, बुंदेली गायन, राजस्थानी लोक नृत्य, फ्लैश मॉब
- 21 दिसंबर: सोलो एवं समूह नृत्य, कठपुतली शो, पंजाबी भांगड़ा
- 22 दिसंबर: वाद्य संगीत, पारम्परिक चिकित्सकों और डॉक्टरों की परिचर्चा
- 23 दिसंबर: समापन समारोह, पुरस्कार वितरण और झाबुआ का पारम्परिक नृत्य
जनजातीय संस्कृति और वनोपज को मिलेगा मंच
अंतरराष्ट्रीय वन मेला न केवल लघु वनोपज और जैव विविधता को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि जनजातीय संस्कृति, पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों और युवाओं के स्टार्टअप नवाचारों को भी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करेगा।




