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जबलपुर में निजी स्कूलों पर कार्रवाई रद्द, हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी—अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर हुआ शक्ति का दुरुपयोग

जबलपुर: निजी स्कूलों पर की गई कार्रवाई हाईकोर्ट ने की रद्द, प्रशासन को फटकार

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की डिविजनल बेंच ने जबलपुर में निजी स्कूलों के खिलाफ की गई प्रशासनिक कार्रवाई को निरस्त करते हुए राज्य प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई है। जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस प्रदीप मित्तल की पीठ ने स्पष्ट कहा कि अधिकारियों ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर शक्ति का दुरुपयोग किया, जो कानूनन स्वीकार्य नहीं है।

फीस विवाद को लेकर दर्ज हुए थे आपराधिक मामले

जबलपुर के दो दर्जन से अधिक निजी स्कूल संचालकों ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर कथित मनमानी फीस वसूली के नाम पर दर्ज आपराधिक प्रकरणों और गिरफ्तारी की कार्रवाई को चुनौती दी थी। इनमें अधिकांश स्कूल मिशनरी संस्थाओं द्वारा संचालित हैं। जिला प्रशासन की शिकायत पर स्कूल प्रबंधन और प्राचार्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।

हाईकोर्ट की तीखी टिप्पणी

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि

यदि अभिभावकों को निजी स्कूलों की फीस अधिक लगती है, तो वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में क्यों नहीं दाखिल कराते?

कोर्ट ने माना कि जिस तरीके से प्रशासन ने निजी स्कूलों पर कार्रवाई की, वह कानूनी प्रक्रिया और अधिकारों के दायरे से बाहर है। इसी आधार पर फीस वापसी से संबंधित आदेश को भी रद्द कर दिया गया।

फीस तय करना स्कूल प्रबंधन का अधिकार

अपने अंतिम आदेश में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि

  • फीस निर्धारण और स्कूल संचालन से जुड़े निर्णय लेना स्कूल प्रबंधन या सोसाइटी का अधिकार है
  • राज्य अधिकारियों को न तो फीस तय करने का अधिकार है और न ही मनमाने निर्देश जारी करने का
  • प्रशासन की कार्रवाई स्कूल प्रबंधन में सीधा हस्तक्षेप थी

कोर्ट ने कहा कि इस पूरे विवाद का समाधान 2017 के अधिनियम और 2020 के नियमों के तहत संतुलित और विधिसम्मत तरीके से किया जा सकता था।

छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होने पर चिंता

हाईकोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि स्थानीय प्रशासन द्वारा मामले को जिस तरह से संभाला गया, उससे

  • स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच तनाव बढ़ा
  • इसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई और भविष्य पर पड़ा

पेरेंट्स एसोसिएशन की आपत्ति खारिज

इस मामले में मध्य प्रदेश पेरेंट्स एसोसिएशन ने आपत्ति दर्ज कराई थी। जब कोर्ट ने संगठन के रजिस्ट्रेशन और सदस्यों का विवरण मांगा, तो अध्यक्ष सचिन गुप्ता यह जानकारी प्रस्तुत नहीं कर सके। कोर्ट ने संगठन को स्वघोषित बताते हुए उसकी आपत्ति खारिज कर दी और कहा कि आपत्ति दर्ज करने के लिए वैधानिक आधार आवश्यक है।

हालांकि, पेरेंट्स एसोसिएशन अब इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है।

पूरे देश में चर्चा में रही थी कार्रवाई

उल्लेखनीय है कि जबलपुर के तत्कालीन कलेक्टर दीपक सक्सेना के कार्यकाल में की गई इस कार्रवाई ने देशभर में बहस छेड़ दी थी। हाईकोर्ट के इस फैसले को निजी स्कूलों की स्वायत्तता और प्रशासनिक सीमाओं के लिहाज से एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है।

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