औरैया। उत्तर प्रदेश के औरैया जिले की बिधूना तहसील अंतर्गत खानजहांपुर चिरकुआ ग्राम पंचायत का एक मामला इन दिनों प्रशासनिक गलियारों से लेकर आम जनचर्चा तक में सुर्खियों में है। वजह है— तीन साल तक चली पाँच जांचों के बाद लाखों रुपये के कथित घोटाले का नतीजा केवल एक रुपये के गबन में निकलना।
🚨 हाई-वोल्टेज शुरुआत: ‘मेगा स्कैम’ का दावा
दिसंबर 2022 में ग्राम पंचायत सदस्य कुलदीप शर्मा ने प्रशासन को दी गई शिकायत में आरोप लगाया था कि हैंडपंप मरम्मत, स्ट्रीट लाइट, सड़क निर्माण और स्कूल कायाकल्प जैसे विकास कार्यों में 25 से 30 लाख रुपये का घोटाला किया गया है। आरोपों ने पंचायत में हड़कंप मचा दिया और प्रशासनिक जांच शुरू हुई।
🔍 तीन साल, पाँच जांचें
शिकायत के बाद मामला लगातार जांच के दायरे में रहा।
- अलग-अलग समय पर पाँच जांच अधिकारी बदले गए
- फाइलें आगे-पीछे होती रहीं
- रिपोर्टें बनीं, लौटीं और अधूरी रह गईं
तीन वर्षों तक प्रशासनिक मशीनरी चलती रही, लेकिन कोई ठोस निष्कर्ष सामने नहीं आया।
⛔ चौथी जांच में सख्ती
सितंबर 2024 में हुई चौथी जांच में कथित अनियमितताओं की पुष्टि की गई। इसके बाद ग्राम प्रधान शकुंतला देवी के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सीज कर दिए गए। इस कदम को प्रशासनिक सख्ती के रूप में देखा गया और ग्रामीणों को लगा कि अब बड़े घोटाले का खुलासा होगा।
🎬 क्लाइमेक्स: एक रुपये का गबन
पूरा मामला तब पलट गया जब 4 जून 2025 को ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अधिशासी अभियंता द्वारा की गई पाँचवीं और अंतिम जांच रिपोर्ट सामने आई।
रिपोर्ट के अनुसार—
- हैंडपंप मरम्मत में ₹59,500 के स्थान पर ₹59,501 का भुगतान हुआ
- यानी, केवल ₹1 का अतिरिक्त भुगतान
लाखों के आरोपों का निचोड़ एक रुपये पर आकर थम गया।
🏛️ प्रशासन का फैसला
जिलाधिकारी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने इसे मानवीय भूल मानते हुए मामला समाप्त कर दिया।
- ग्राम प्रधान और सचिव को केवल चेतावनी
- प्रधान के सभी अधिकार तत्काल बहाल
🗣️ सीडीओ का बयान
मुख्य विकास अधिकारी संत कुमार ने बताया कि जांच में एक रुपये का गबन पाया गया था, जिसे सरकारी कोष में जमा करा दिया गया है। इसी आधार पर डीपीआरओ को प्रधान के अधिकार बहाल करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व जांचों की विस्तृत जानकारी उनके पास नहीं है।




