📖 विस्मृत जननायक पर आधारित ऐतिहासिक पुस्तक
बनारस के इतिहास से जुड़ी एक महत्वपूर्ण पुस्तक चर्चा में है।
यह पुस्तक 1799 के स्वतंत्रता संघर्ष को उजागर करती है।
✍️ लेखक एच.ए. कुरेशी का दावा
पुस्तक के लेखक एच.ए. कुरेशी ने बड़ा खुलासा किया।
उन्होंने बताया कि बाबू जगत सिंह एक कुशल योजनाकार थे।
⚔️ अंग्रेजों के खिलाफ संगठित संघर्ष
बाबू जगत सिंह ने जमीदारों को एकजुट किया।
उन्होंने अंग्रेज हुकूमत के खिलाफ रणनीतिक लड़ाई लड़ी।
😨 अंग्रेज अधिकारी क्यों डरते थे
कुरेशी के अनुसार अंग्रेज अफसर उनसे खौफ खाते थे।
यही कारण था कि गिरफ्तारी में दो महीने लग गए।
🏚️ जगतगंज कोठी से गिरफ्तारी
19 जून को अंग्रेजों ने उन्हें जगतगंज कोठी से पकड़ा।
उसी दिन उनके कई सहयोगी भी गिरफ्तार हुए।
📚 शोध का मजबूत आधार
लेखक ने कई ऐतिहासिक ग्रंथों से तथ्य जुटाए।
तोहफा-ए-ताजा और तारीख-ए-बनारस प्रमुख स्रोत रहे।
🏛️ सारनाथ खुदाई का श्रेय नहीं मिला
कुरेशी ने बताया कि सारनाथ खुदाई बाबू जगत सिंह ने कराई।
लेकिन इसका श्रेय उन्हें कभी नहीं दिया गया।
❌ विध्वंसक बताकर बदनाम किया गया
तत्कालीन हुकूमत ने उन्हें गलत रूप में पेश किया।
वास्तव में वे विकास और राष्ट्रहित के पक्षधर थे।
📘 आने वाली हैं और किताबें
बाबू जगत सिंह पर दो और पुस्तकें जल्द आएंगी।
इनमें बनारस के गौरवशाली इतिहास के नए पहलू होंगे।
🤝 वंशज का सहयोग
पुस्तक लेखन में उनके वंशज प्रदीप नारायण सिंह सहयोग कर रहे हैं।
इससे इतिहास को तथ्यात्मक मजबूती मिली है।
✨ इतिहास में स्वर्णिम स्थान
बाबू जगत सिंह का नाम इतिहास में अमर है।
उनकी भूमिका अब नई पीढ़ी तक पहुंचेगी।




