⚓ नौसेना को मिला तीसरा स्वदेशी युद्धपोत
भारतीय नौसेना को एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट अंजदीप सौंप दिया गया है।
यह पोत चेन्नई में औपचारिक रूप से नौसेना को प्राप्त हुआ।
🛠️ आठ जहाजों की श्रृंखला का हिस्सा
यह पोत कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स में निर्मित किया गया है।
यह आठ एएसडब्ल्यू-एसडब्ल्यूसी जहाजों में तीसरा है।
🤝 सरकारी-निजी भागीदारी की सफलता
निर्माण में जीआरएसई और लार्सन एंड टुब्रो शिपयार्ड की भागीदारी रही।
यह डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में साझेदारी का उदाहरण है।
🌊 तटीय जल में पनडुब्बी रोधी क्षमता
एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट को तटीय इलाकों के लिए डिजाइन किया गया है।
यह पनडुब्बियों की पहचान और हमला करने में सक्षम है।
🔍 अत्याधुनिक हथियार और सेंसर
इस पोत में उन्नत सोनार और हल्के टॉरपीडो लगाए गए हैं।
यह 25 नॉट्स तक की गति प्राप्त कर सकता है।
🚤 वॉटरजेट से चलने वाला युद्धपोत
लगभग 77 मीटर लंबा यह पोत वॉटरजेट प्रोपल्शन से लैस है।
यह उच्च गति और बेहतर गतिशीलता प्रदान करता है।
🏝️ नाम के पीछे ऐतिहासिक जुड़ाव
‘अंजदीप’ का नाम कर्नाटक के कारवार तट के पास स्थित द्वीप पर रखा गया है।
यह भारत की समुद्री सुरक्षा प्रतिबद्धता दर्शाता है।
🇮🇳 आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक
यह जहाज 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री से बना है।
यह आत्मनिर्भर भारत अभियान की बड़ी उपलब्धि है।
🚢 पुराने जहाजों की जगह लेगा
अंजदीप ‘अर्नाला’ श्रेणी का हिस्सा है।
यह पुराने युद्धपोतों को चरणबद्ध तरीके से बदलेगा।
🌐 बहु-भूमिकाओं में सक्षम
यह पोत माइन बिछाने, निगरानी और खोज-बचाव अभियानों में भी उपयोगी है।
इससे नौसेना की तटीय सुरक्षा और सुदृढ़ होगी।




