क्रिसमस पर सूना पड़ा नील विद्रोह का ऐतिहासिक साक्षी
पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले में स्थित नील विद्रोह की शहादत से जुड़ा ऐतिहासिक फांसीडांगा उद्यान क्रिसमस के दिन पूरी तरह बंद रहा। बड़े दिन की छुट्टी पर यहां घूमने आए पर्यटक जब मुख्य द्वार पर ताला लटका देखकर लौटने को मजबूर हुए, तो निराशा साफ दिखाई दी।
परिवारों को खाली हाथ लौटना पड़ा
चंद्रकोणा-दो ब्लॉक के बसनछोड़ा ग्राम पंचायत क्षेत्र में स्थित इस उद्यान में पहुंचे कई परिवारों को गेट बंद मिला। सेवानिवृत्त शिक्षक अनिलचंद्र सांतरा, जो अपने नाती-पोतों के साथ पहुंचे थे, ने कहा कि उन्होंने इस जगह के कायाकल्प की बहुत तारीफ सुनी थी, लेकिन आज अंदर झाड़-झंखाड़ और सन्नाटा देखकर दुख हुआ।
करोड़ों की लागत से हुआ था सौंदर्यीकरण
फांसीडांगा उद्यान का उद्घाटन अक्टूबर 2021 में किया गया था। ब्लॉक प्रशासन और ग्राम पंचायत ने इसे विकसित करने में करोड़ों रुपये खर्च किए थे। इसमें झूले, रंगीन लाइटें, बैठने की जगह, दुर्लभ पौधे और सजावटी संरचनाएं लगाई गई थीं। दो वर्षों तक यह क्रिसमस और नववर्ष पर पर्यटकों से भरा रहता था।
अब उपेक्षा का शिकार
स्थानीय निवासी विकास मंडल ने बताया कि पार्क पहले अच्छा चल रहा था, लेकिन रखरखाव की कमी और निगरानी न होने से स्थिति बिगड़ गई। अब अंदर घास-फूस उग आई है और कई संरचनाएं टूट चुकी हैं।
नील विद्रोह की ऐतिहासिक धरती
यही वह स्थल है जहां नील विद्रोह के दौरान 14 स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी गई थी। इस बलिदान की स्मृति को संजोने के लिए ही इस पर्यटन केंद्र का निर्माण किया गया था।
प्रशासन का आश्वासन
इस संबंध में चंद्रकोणा-दो के बीडीओ उत्पल पाइक ने कहा कि पार्क की साफ-सफाई और मरम्मत का काम जल्द शुरू किया जाएगा और इसे शीघ्र ही फिर से खोला जाएगा।




