जेन-जी आंदोलन के कथित दमन की हो रही है जांच
नेपाल के पूर्व गृहमंत्री रमेश लेखक ने घोषणा की है कि वह जेन-जी आंदोलन से जुड़े घटनाक्रम की जांच कर रहे न्यायिक जांच आयोग के समक्ष सोमवार को उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज कराएंगे। यह आंदोलन हाल के महीनों में नेपाल की राजनीति और नागरिक स्वतंत्रताओं को लेकर व्यापक बहस का केंद्र बना हुआ है।
शुक्रवार को नेपाली कांग्रेस पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए लेखक ने बताया कि उन्हें आयोग की ओर से शुक्रवार को ही उपस्थित होने का औपचारिक पत्र मिला था, लेकिन पार्टी की केंद्रीय समिति के साथ विचार-विमर्श के बाद उन्होंने सोमवार को आयोग के सामने पेश होने का निर्णय लिया।
पहले पेश न होने की अटकलें थीं
इससे पहले राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा थी कि जैसे पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली जांच आयोग के सामने पेश नहीं हुए, उसी तरह रमेश लेखक भी आयोग से दूरी बनाए रखेंगे। हालांकि, अब लेखक के इस निर्णय को जांच प्रक्रिया के साथ सहयोग के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
क्यों अहम है यह बयान?
जेन-जी आंदोलन के दौरान सरकार पर अत्यधिक बल प्रयोग और दमन के आरोप लगे थे। उस समय रमेश लेखक गृहमंत्री थे और कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी उनके मंत्रालय के पास थी। ऐसे में उनका बयान इस पूरे मामले की जवाबदेही तय करने में अहम माना जा रहा है।
राजनीतिक असर भी गहरा
इस जांच का असर केवल कानूनी नहीं बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी बड़ा हो सकता है, क्योंकि यह सीधे तौर पर तत्कालीन सरकार के फैसलों और कार्रवाई पर सवाल उठाता है। आयोग की रिपोर्ट आने के बाद नेपाल की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं।




