🛕 बटद्रवा से असम की सांस्कृतिक पहचान की रक्षा का आह्वान
असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने बटद्रवा की पावन धरती से राज्य की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान की सुरक्षा को लेकर कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि असम के आस्था स्थलों (बरघर) में किसी भी अज्ञात या चिन्हित न होने वाले व्यक्ति को प्रवेश या निवास की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
यह बयान मुख्यमंत्री ने महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव के आविर्भाव क्षेत्र में विकास कार्यों के उद्घाटन अवसर पर आयोजित जनसभा में दिया। उन्होंने कहा कि असम की परंपरा, वैष्णव संस्कृति और सामाजिक ताने-बाने की रक्षा समाज और सरकार की साझा जिम्मेदारी है।
🔔 संस्कृति से समझौता नहीं होगा
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा,
“कोई भी अचिन्हित या अज्ञात व्यक्ति असम में न रहे, इसके लिए समाज को सतर्क रहना होगा। हमारी परंपरा और संस्कृति से किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार नहीं है।”
उन्होंने यह भी कहा कि श्रीमंत शंकरदेव की विचारधारा और योगदान को किसी अन्य धार्मिक व्यक्तित्व से जबरन जोड़ने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।
“शंकरदेव और अजान फकीर को एक ही रूप में प्रस्तुत करना उचित नहीं। शंकरदेव का दर्शन और योगदान अद्वितीय है।”
🤝 केंद्रीय गृहमंत्री का पारंपरिक स्वागत
इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का गुरु आसन में पारंपरिक गामोछा, पाट रेशम की चेलेंग सादर, मुखा शिल्प और पवित्र प्रतीक चित्र भेंट कर स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री ने इस पावन स्थल पर उनका स्वागत करना गर्व का विषय बताया।
📜 आध्यात्मिक स्मरण
मुख्यमंत्री ने महापुरुष माधवदेव द्वारा रचित एक घोषा का स्मरण करते हुए इसे असम की आध्यात्मिक चेतना से जुड़ा क्षण बताया। बड़ी संख्या में वैष्णव, संत और श्रद्धालु इस कार्यक्रम में मौजूद रहे, जिससे यह आयोजन असम की सांस्कृतिक विरासत का सशक्त प्रतीक बना।




