दो नेताओं के इर्द-गिर्द घूमी राजनीति
बांग्लादेश की राजनीति वर्षों तक Khaleda Hasina Politics के प्रभाव में चलती रही है।
खालिदा जिया और शेख हसीना की प्रतिद्वंद्विता ने सत्ता के हर चुनाव को निर्णायक बना दिया।
दोस्ती से दुश्मनी तक का सफर
1980 के दशक में दोनों नेता सैन्य शासन के खिलाफ एक साथ सड़कों पर उतरी थीं।
लेकिन समय के साथ Khaleda Hasina Politics ने उनकी दोस्ती को गहरी दुश्मनी में बदल दिया।
खालिदा का सत्ता में उदय
1991 में खालिदा जिया प्रधानमंत्री बनीं और लोकतंत्र को नई दिशा देने का प्रयास किया।
इसके बाद Khaleda Hasina Politics के तहत सत्ता का झूला लगातार दोनों के बीच घूमता रहा।
‘बैटल ऑफ बेगम्स’
मीडिया ने इस लंबे संघर्ष को ‘बैटल ऑफ बेगम्स’ नाम दिया, जो पूरे देश में चर्चित रहा।
इस दौर में Khaleda Hasina Politics हर चुनाव और आंदोलन का केंद्र बिंदु बन गई।
सामान्य परिवार से सत्ता तक
खालिदा जिया एक साधारण परिवार से थीं, लेकिन राजनीति में उन्होंने बड़ा मुकाम हासिल किया।
उनकी जिंदगी में Khaleda Hasina Politics ने संघर्ष और सत्ता दोनों का अनुभव जोड़ा।
जिया-उर-रहमान की भूमिका
खालिदा के पति जिया-उर-रहमान ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति बनकर बीएनपी की नींव रखी।
इसी विरासत ने Khaleda Hasina Politics को नई पीढ़ी तक पहुंचाया।
विरासत अब बेटे के हाथ
आज बीएनपी की कमान तारिक रहमान के पास है, जो पार्टी को आगे बढ़ा रहे हैं।
इस तरह Khaleda Hasina Politics की कहानी अब भी बांग्लादेश में जारी है।




