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गंगा सागर में पुण्य स्नान शुरू, लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

कोलकाता, 14 जनवरी (हि.स.) । मकर संक्रांति के पावन अवसर पर देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं ने आज गंगा सागर में आस्था की डुबकी लगाई। त्रेता युग के पवित्र सागर तट, जहां मां गंगा ने राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया था, वहां मोक्ष की कामना में भक्तजन पुण्य स्नान के लिए उमड़ पड़े। राजा सगर के पुत्रों को जिस शुभ मुहूर्त में गंगा ने स्पर्श किया, उसी शुभ मुहूर्त में पुण्य स्नान की शुरुआत होती है।गंगा सागर मेला आठ जनवरी से शुरू हो चुका है। इसका समापन 17 जनवरी को होगा। पुण्य स्नान का शुभ मुहूर्त आज सुबह 6:58 बजे से 15 जनवरी को सुबह 6:58 बजे तक है। पश्चिम बंगाल सरकार ने गंगा सागर मेला के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। सरकारी बसों और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। अधिकारियों के अनुसार, पिछले वर्ष करीब 32 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे। इस बार यह संख्या बढ़ सकती है।बांग्लादेशी घुसपैठियों पर नजरः गंगा सागर मेले के दौरान बांग्लादेशी घुसपैठियों की संभावित सक्रियता को देखते हुए सुरक्षा चाक-चौबंद कर दी गई है। खुफिया एजेंसियों ने राज्य सरकार को सतर्क किया है कि दक्षिण 24 परगना जिले के सागर द्वीप में भीड़ का फायदा उठाकर अवैध घुसपैठ हो सकती है। सुंदरबन जिले की पुलिस ने सागर द्वीप के तटीय प्रवेश बिंदुओं, जैसे काकद्वीप के लॉट नंबर 8 और नामखाना के चेमागुरी पर कड़ी निगरानी रखी है। मेले क्षेत्र में 13 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती की जा रही है। भारतीय तटरक्षक बल भी सुरक्षा में सहयोग कर रहा है।हाई-टेक सुरक्षाः गंगा सागर मेले को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए 1,150 से अधिक सीसीटीवी लगाए गए हैं। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हर साल मेले के दौरान सुरक्षा मजबूत की जाती है, लेकिन इस बार अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। बांग्लादेश में चल रहे राजनीतिक संकट के कारण कुछ घुसपैठिए मेले का फायदा उठाकर अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर सकते हैं। यहां आए तीर्थयात्रियों में महिलाओं, पुरुषों और युवाओं के साथ-साथ नागा, नाथ और विभिन्न संप्रदायों के साधु-संत भी शामिल हैं।गंगा सागर में आस्था, भक्ति और मोक्ष की यह अनुपम तस्वीर हर साल श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस बार का मकर संक्रांति स्नान न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी खास बन गया है। इसकी वजह है कि एक तरफ 144 साल बाद प्रयागराज में पूर्ण महाकुंभ लगा है और दूसरी तरफ गंगा सागर का पुण्य स्नान भी हो रहा है।

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