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बांसवाड़ा के घाटोल में होली पर जलती लकड़ियों से खेली राड: 250 वर्ष पुरानी परंपरा का किया निर्वहन

बांसवाड़ा जिले के घाटोल कस्बे में होली का त्योहार उत्साह और जोश के साथ मनाया जा रहा है। यहां होली की अनूठी परंपरा प्रचलित है जो करीब 250 वर्षों से चली आ रही है।

होलिका दहन के बाद मध्यरात्रि को पटेलवाड़ा में पाटीदार समाज द्वारा गैर नृत्य का आयोजन किया जाता है। इसमें ढोल की थाप पर युवाओं सहित बुजुर्गों ने गैर नृत्य में हिस्सा लिया।

धुलंडी के दिन सुबह से ही युवाओं द्वारा हाथ में जलती हुई लकड़ियां लेकर होलिका दहन किया गया। इसके बाद पाटीदार समाज के युवाओं द्वारा दो पक्ष बनाकर जलती हुई लकड़ियों से राड खेली गई। एक दूसरे पर जलती हुई लकड़ियां फेकी गईं।

एक दूसरे पर फेकी गई लकड़ियां हवा में लहराते हुए एक से दूसरे पक्ष के सामने गिरती हुई लकड़ियों को सुरक्षा की दृष्टि से हाथों में दूसरी लकड़ियों से रोककर खुद को बचाते हुए युवाओं द्वारा खेली जाने वाली राड नृत्य ने लोगों को आकर्षित कर दिया।

राड के दौरान चोट लगने का महत्व

राड के दौरान दो युवाओं को हाथ की उंगली व एक को पीठ पर हल्की चोट लगी, जिसे शुभ माना जाता है। बाद में पंचों द्वारा राड रोकने के संकेत के बाद युवाओं सहित बड़े बुजुर्गों ने एक दूसरे के गले लग होली की बधाई दी।

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