तालाब से रोजगार
अमृत सरोवर रोजगार 2025 के तहत दुर्ग जिले के ग्राम पंचायत बोरिंदा में निर्मित तालाब अब सिर्फ जल संरक्षण का साधन नहीं रहा। यह ग्रामीण महिलाओं के लिए सशक्त आजीविका का केंद्र बन गया है।
मछली पालन और महिला समूह
“शीतल स्वास्थ्य समूह” की 12 महिला सदस्य संगठित होकर मछली पालन कर रही हैं। तालाब में अब तक एक लाख से अधिक मछलियों का संचयन किया गया है और नियमित आहार व बीज की व्यवस्था की जा रही है।
आर्थिक और सामाजिक लाभ
महिलाओं का कहना है कि यह गतिविधि उन्हें नियमित आमदनी दे रही है। भविष्य में इसे व्यवसायिक स्तर तक ले जाने की योजना है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी बजरंग दुबे ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह महिला सशक्तिकरण और आजीविका संवर्धन का सशक्त स्रोत है।
सिंचाई और पर्यावरणीय लाभ
तालाब के किनारे 10-15 एकड़ क्षेत्र में किसानों को सिंचाई की सुविधा मिल रही है, जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि हुई। तालाब में 10,000 घन मीटर पानी का भंडारण संभव है। किनारे 60 तरह के पेड़-पौधे लगाए गए हैं, जिससे पर्यावरण में सुधार हुआ है।
जिले में विस्तार
जिले में अब तक 123 अमृत सरोवर बन चुके हैं। इनमें 65 सरोवरों में महिलाओं ने आजीविका गतिविधियाँ शुरू की हैं। प्रत्येक समूह में लगभग 10 महिलाएँ सक्रिय हैं, जिससे कुल मिलाकर लगभग 650 महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं। मछली प्रसंस्करण और विपणन के लिए चबूतरे बनाए गए हैं।
निष्कर्ष
अमृत सरोवर रोजगार 2025 ने दुर्ग में महिलाओं और युवाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में सफलता हासिल की है। यह ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोजगार का प्रेरक उदाहरण बन चुका है।