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‘डबल जलेबी’ के जादू से राष्ट्रीय टीम तक: अंगद बीर सिंह ने भारतीय टीम में एंट्री पर साझा किए अनुभव

नई दिल्ली, 06 मार्च (हि.स.)। युवा खिलाड़ी अंगद बीर सिंह भारतीय हॉकी के नए सितारे बनकर उभरे हैं। हाल ही में संपन्न हीरो हॉकी इंडिया लीग में वेदांता कलिंगा लांसर्स के लिए खेलते हुए उन्होंने शूटआउट में दुनिया के बेहतरीन गोलकीपरों में से एक माने जाने वाले डेविड हार्टे (तमिलनाडु ड्रैगन्स) के खिलाफ शानदार ‘डबल जलेबी’ गोल दागा, जिससे वे चर्चा में आ गए। इस जबरदस्त प्रदर्शन के बाद उन्हें एफआईएच प्रो लीग 2024-25 के भारत चरण के लिए पहली बार भारतीय सीनियर पुरुष हॉकी टीम में चुना गया और भुवनेश्वर में आयरलैंड के खिलाफ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया।

अंगद इससे पहले जूनियर राष्ट्रीय टीम के साथ कई सफलताएं हासिल कर चुके हैं। 2022 सुल्तान ऑफ जोहोर कप में स्वर्ण, 2023 सुल्तान ऑफ जोहोर कप में कांस्य और 2023 पुरुष जूनियर एशिया कप में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने अपनी प्रतिभा साबित की थी।

पहला मैच और खास लम्हेहॉकी इंडिया की ओर से जारी बयान में अंगद ने अपनी पहली सीनियर अंतरराष्ट्रीय भिड़ंत को याद करते हुए कहा, “मैच से पहले मैं बेहद रोमांचित था। यह मेरे कई वर्षों की मेहनत का नतीजा था।” उन्होंने बताया कि जब मुख्य कोच क्रेग फुल्टन ने टीम के सामने उनके डेब्यू की घोषणा की, तो उनका उत्साह और भी बढ़ गया। 22 वर्षीय अंगद ने कहा, “उस पल मुझे महसूस हुआ कि कुछ खास होने वाला है।”

हालांकि, शुरुआती कुछ मिनटों में उनके मन में घबराहट थी, लेकिन जल्द ही वे सहज हो गए। उन्होंने कहा कि शुरुआत में मैं सतर्क था, गलती करने से बचना चाहता था लेकिन फिर मैंने खुद से कहा कि यह भी एक आम मैच की तरह है, अपना खेल खेलो, आत्मविश्वास रखो। इसके बाद मैं पूरी तरह खेल में डूब गया।

सीनियर खिलाड़ियों का सहयोगअंगद ने टीम के सीनियर खिलाड़ियों मनप्रीत सिंह, हार्दिक सिंह और संजय की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “सभी सीनियर खिलाड़ियों ने मेरा हौसला बढ़ाया। उन्होंने मुझसे कहा कि बिना दबाव के खेलो। खासतौर पर मनप्रीत और हार्दिक पूरे मैच के दौरान मेरा मार्गदर्शन कर रहे थे। संजय और मेरा मैदान पर अच्छा तालमेल है, उन्होंने भी मेरी काफी मदद की।”

कोच फुल्टन के शांत और सकारात्मक दृष्टिकोण को लेकर भी अंगद ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि मैच से पहले कोच ने मुझसे कहा कि बस अपना खेल खेलो और इस पल का आनंद लो। गलतियों की चिंता मत करो, मैं तुम्हारे साथ हूं।, ये शब्द मुझे हमेशा याद रहेंगे और इससे मुझे खुलकर खेलने की आजादी मिली।

सीनियर स्तर की नई चुनौतियांअंगद ने जूनियर और सीनियर स्तर के खेल में अंतर को लेकर कहा, “जूनियर स्तर पर खेल बुनियादी होता है, लेकिन सीनियर स्तर पूरी तरह रणनीतिक होता है। खेल की गति तेज होती है और हर कदम सोच-समझकर उठाना पड़ता है। मैं लगातार सीखने और अपने खेल में सुधार करने पर ध्यान दे रहा हूं।” उन्होंने अपने भविष्य के लक्ष्यों के बारे में कहा, “मानसिक रूप से तैयार रहना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शारीरिक तैयारी। अगले मैच में मैं मानसिक रूप से पहले से ज्यादा तैयार रहूंगा। मेरा लक्ष्य हर मैच में सीखना, अपनी टीम के साथियों से तालमेल बढ़ाना और अपने प्रदर्शन को निखारना है।”

ओलंपिक में स्वर्ण जीतने का सपनाअंगद के लिए सबसे बड़ा लक्ष्य ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतना है। उन्होंने कहा, “टोक्यो और पेरिस ओलंपिक में हमारी टीम ने कांस्य पदक जीते, लेकिन अब मैं उस टीम का हिस्सा बनना चाहता हूं जो भारत के लिए स्वर्ण लेकर आए।”

परिवार की खुशीअपनी इस सफलता को लेकर अंगद ने अपने परिवार की प्रतिक्रिया को भी याद किया। उन्होंने बताया, “भारतीय टीम के लिए खेलना मेरे पिता का सपना था। मेरे डेब्यू मैच के दौरान पूरा परिवार और रिश्तेदार एक साथ मैच देख रहे थे। उनकी खुशी और गर्व ने इस पल को मेरे लिए और भी खास बना दिया।” अंगद बीर सिंह का यह सफर न केवल उनके लिए, बल्कि भारतीय हॉकी के लिए भी एक रोमांचक भविष्य की ओर इशारा करता है।

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