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वनों की अंधाधुंध कटाई और प्रदूषण जैव विविधता के लिए गंभीर खतरा

अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर ‘प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास’ का संदेश

वाराणसी, 22 मई (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर गुरुवार को श्री काशी विश्वनाथ धाम स्थित गंगा द्वार पर नमामि गंगे के कार्यकर्ताओं ने अभियान चलाया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने विभिन्न जीव-जंतुओं, पौधों, सूक्ष्मजीवों और पारिस्थितिकी तंत्रों के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया।

अभियान के तहत विलुप्त होती गौरैया, गंगा में निवास करने वाली डॉल्फ़िन, कछुएं आदि की तस्वीरों के साथ पर्यावरण संरक्षण संबंधी संदेश लिखी तख्तियां लेकर लोगों को पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने का आह्वान किया।

नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि पृथ्वी पर जीवन एक अद्भुत ताना-बाना है, जिसमें सभी जीव-जंतु, वनस्पति और सूक्ष्मजीवों की अहम भूमिका होती है। ये पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने के साथ-साथ स्वच्छ जल, वायु, मिट्टी, भोजन, औषधियां और अन्य प्राकृतिक संसाधन प्रदान करते हैं। किंतु वनों की अंधाधुंध कटाई, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैव विविधता के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं।

उन्होंने कहा कि विश्व जैव विविधता दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि इस अमूल्य प्राकृतिक धरोहर का संरक्षण न केवल आज की आवश्यकता है, बल्कि भावी पीढ़ियों की ज़िम्मेदारी भी है। हिमालय क्षेत्र भारत की जैव विविधता में केंद्रीय भूमिका निभाता है, इसलिए इसके संरक्षण के लिए सतत विकास और वन्यजीव सुरक्षा के ठोस प्रयास ज़रूरी हैं।

इस आयोजन में सदाशिव द्विवेदी, श्रीनिवास शर्मा, प्रणव देव, शोभा मिश्रा, कैलाश नाथ, सर्वज्ञ द्विवेदी, चंद्रमौली सहित अनेक पर्यावरण प्रेमियों ने भागीदारी की और जैव विविधता संरक्षण की शपथ ली।

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