छह महीने से बकाया मानदेय को लेकर आशा बहुओं का फूटा गुस्सा
कानपुर। आशा बहुओं का बकाया मानदेय छह महीने से लंबित होने और बेहद कम मासिक भुगतान को लेकर सोमवार को सैकड़ों आशा बहुओं ने चकेरी स्थित रामादेवी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सीएमओ को सौंपा।
प्रदर्शन कर रहीं आशा बहुओं ने बताया कि दिन-रात मेहनत करने के बावजूद उन्हें मात्र 2500 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है, जो परिवार के खर्चों के लिए नाकाफी है। कई आशा कार्यकर्ताओं को छह-छह महीने से भुगतान नहीं मिला है और जब भुगतान होता भी है, तो वह किस्तों में किया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस समस्या को लेकर कई बार अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला।
वेतन बढ़ोतरी और श्रमिक दर्जे की मांग
प्रदर्शन में शामिल आशा बहू प्रिया ने बताया कि उनकी प्रमुख मांगों में भारतीय श्रम सम्मेलन की 45वीं और 46वीं सिफारिशों के अनुसार राज्य स्वास्थ्य कर्मी का दर्जा देना शामिल है। इसके साथ ही मातृत्व अवकाश, न्यूनतम वेतन, भविष्य निधि (पीएफ), पेंशन सुविधा, 50 लाख रुपये का जीवन बीमा और 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराए जाने की मांग भी की गई।
आशा बहुओं का कहना है कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानी जाने वाली आशा कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर रही है, जिससे उनका जीवन संकट में है। लगातार बढ़ती महंगाई के बीच इतने कम मानदेय में गुजारा करना असंभव हो गया है।
सीएमओ ने शासन तक बात पहुंचाने का दिया आश्वासन
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरि दत्त नेमी ने बताया कि आशा बहुओं से मांग पत्र प्राप्त कर लिया गया है। उनकी समस्याओं और मांगों को शासन स्तर पर भेजा जाएगा। उन्होंने प्रदर्शनकारी महिलाओं को आश्वासन देकर शांत कराया।




