गहलोत का केंद्र पर तीखा हमला
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार पर मनरेगा को कमजोर करने की साजिश रचने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जारी बयान में कहा कि ग्रामीण भारत की “जीवनरेखा” कही जाने वाली मनरेगा को खत्म करने के प्रयास गरीब और वंचित वर्ग के खिलाफ हैं।
मनरेगा की ऐतिहासिक भूमिका
अशोक गहलोत मनरेगा बयान में उन्होंने कहा कि यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सोच से 2005 में मनरेगा को कानूनी अधिकार के रूप में लागू किया गया था। इस योजना ने करोड़ों ग्रामीण परिवारों को गरीबी से बाहर निकलने में मदद की।
नई योजना पर आपत्ति
गहलोत ने केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा के स्थान पर लाई जा रही नई योजना की आलोचना की। उन्होंने कहा कि 60:40 के फंडिंग मॉडल से राज्यों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाला जाएगा, जिससे गरीबों को रोजगार देने की क्षमता प्रभावित होगी।
‘एग्रीकल्चर पॉज’ पर चिंता
पूर्व मुख्यमंत्री ने ‘एग्रीकल्चर पॉज’ के प्रावधान को मजदूर विरोधी बताया। उनके अनुसार खेती के समय मनरेगा कार्य रोकना मजदूरों की सौदेबाजी की ताकत खत्म कर देगा और उन्हें कम मजदूरी पर काम करने को मजबूर करेगा।
राजस्थान का उदाहरण
अशोक गहलोत मनरेगा बयान में उन्होंने कहा कि राजस्थान मनरेगा के बेहतर क्रियान्वयन में देश के अग्रणी राज्यों में रहा है। महिलाओं और ग्रामीण परिवारों को इससे सबसे ज्यादा लाभ मिला है।
कांग्रेस का रुख
गहलोत ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस मनरेगा को कमजोर करने वाली किसी भी नीति का विरोध करेगी और इसे उसके मूल स्वरूप में बहाल करने की मांग जारी रखेगी। उन्होंने केंद्र से गरीबों, किसानों और मजदूरों के हितों की रक्षा करने की अपील की।




