गुवाहाटी, 3 अक्टूबर।
असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने आज लोकगायिका प्रतिमा बरुवा पांडेय को उनकी जन्मजयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी जादुई आवाज़ में मिट्टी की खुशबू और असम की लोकसंस्कृति की झलक मिलती थी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रतिमा बरुवा पांडेय ने लोकगीतों के माध्यम से आम जनजीवन की भावनाओं और विश्वासों को अभिव्यक्त किया और असम की सांस्कृतिक धरोहर को अमूल्य योगदान दिया। उन्हें ‘हस्ती की कन्या’ के रूप में भी जाना जाता है।
प्रतिमा बरुवा पांडेय का जन्म 3 अक्टूबर 1934 को पश्चिमी असम के धुबड़ी जिले के गौरीपुर में एक राजसी परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम मालतीबाला बरुवा था। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने कोलकाता के गोखले मेमोरियल गर्ल्स स्कूल से और माध्यमिक शिक्षा गौरीपुर गर्ल्स स्कूल, असम से प्राप्त की। 1953 में उन्होंने प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की और साउथ कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज में दाखिला लिया, हालांकि उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी नहीं की।
प्रतिमा बरुवा पांडेय का निधन 21 दिसंबर 2002 को हुआ। आज भी उनकी लोकसंस्कृति में दी गई अमूल्य योगदान के कारण उन्हें याद किया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी आवाज़ और लोकगीत आज भी असम की सांस्कृतिक पहचान को जीवंत बनाए हुए हैं।
असम के लोग प्रतिमा बरुवा पांडेय के लोकसंगीत और योगदान को सम्मान देते हुए उनकी जयंती पर उन्हें याद कर रहे हैं।