अयोध्या, 21 मार्च (हि.स.)। मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ ने कहा कि अयोध्या में 2016-17 में पूरे साल भर मात्र 2.34 लाख श्रद्धालु आते थे, लेकिन आज 16 करोड़ से अधिक लोग यहां भगवान श्रीराम का दर्शन करने आ रहे हैं। यह अयोध्या की बढ़ती महिमा और भव्यता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह अयोध्या सनातन धर्म की आधारभूमि है। याेगी शुक्रवार को रामनगरी में टाइमलेस अयोध्या लिटरेचर फेस्टिवल के शुभारंभ पर बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने सबसे पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अशोक के पौधे को जल अर्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री याेगी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने विरासत और विकास को साथ जोड़कर भारत की परंपराओं को पुनर्जीवित करने का कार्य किया है, जिससे एक बड़ी शुरुआत हुई है। उन्होंने कहा कि अयोध्या सनातन धर्म की आधारभूमि है। यह केवल एक शहर नहीं बल्कि धर्म और साहित्य की प्रेरणास्थली है। उन्होंने महर्षि वाल्मीकि और संत तुलसीदास द्वारा रामायण और रामचरितमानस की रचना का उल्लेख करते हुए कहा कि अयोध्या हमेशा से साहित्य और संस्कृति का केंद्र रही है।इससे
पूर्व अयोध्या में आयोजित इस साहित्यिक महोत्सव में सबसे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वैदिक मंत्रोच्चार के बीच राजसदन में पारंपरिक तरीके से अभिनंदन हुआ।
योगी ने कहा कि भगवान मनु ने यहीं से मानव धर्म की नींव रखी और यही भूमि श्रीहरि विष्णु के अवतार प्रभु श्रीराम की कर्मभूमि बनी। रामायण दुनिया का पहला महाकाव्य बना, जिसने साहित्य को नई दिशा दी। जिस प्रकार महर्षि वाल्मीकि ने राम कथा को विश्वभर में अमर कर दिया, उसी प्रकार आज भी अयोध्या से जुड़ी हर रचना लोगों के हृदय को छूती हैं। रामायण और रामचरितमानस आज भी दुनिया के हर कोने और देश के हर घर में पढ़े और सराहे जाते हैं। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन की चर्चा करते हुए कहा कि अयोध्या को वह सम्मान मिलना चाहिए, जिसकी वह सदियों से हकदार रही है। उन्होंने बताया कि 2017 में जब अयोध्या में दीपोत्सव मनाने की योजना बनाई, तब कुछ लोगों ने इसे लेकर सवाल उठाए, लेकिन आज लाखों करोड़ों श्रद्धालु दीपोत्सव में शामिल होते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। यह केवल संस्कृति का संरक्षण ही नहीं करता, बल्कि समाज को सही दिशा भी प्रदान करता है। आज के डिजिटल युग में पढ़ने-लिखने की परंपरा बाधित हो रही है। लेकिन लिटरेचर फेस्टिवल जैसे आयोजन इसे पुनर्जीवित करने में मददगार साबित होंगे। मुख्यमंत्री ने टाइमलेस अयोध्या लिटरेचर फेस्टिवल की पूरी टीम को बधाई देते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का कार्य करेंगे और भारतीय साहित्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे। इस महोत्सव ने यह साबित किया कि अयोध्या केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि साहित्य और संस्कृति की भी पावन भूमि है।
दुनिया में भारत के प्रति है सम्मान का भाव-
याेगी ने कहा कि मुझे एक बार यूरोप जाने का अवसर मिला। वहां एक टैक्सी ली। टैक्सी वाले से पूछा कहां के रहने वाले हो तो उसने बताया कि पंजाब का रहने वाला हूं। फिर मैंने कहा कि पंजाब में कहां से। थोड़ा संकोच में उसने कहा मैं पाकिस्तान वाले पंजाब से हूं। मैंने पूछा पहले तुमने भारतीय क्यों कहा तो उसने कहा कि हम भारतीय कहने पर सेफ रहते हैं। अगर हम पाकिस्तान बोलें तो पता नहीं क्या हो जाए। यह स्थिति आज दुनिया के अंदर है। भारत के प्रति सम्मान का भाव है, लेकिन जिन्होंने दुनिया को आतंकवाद का भाव दिया, उतना ही उनके प्रति नफरत दुनिया के मन में भी है। आज लोग अपने को भारत और विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश का नागरिक बताते हुए गर्व महसूस करते हैं।
इस अवसर पर अयोध्या लिटरेचर फेस्ट के संयोजक यतींद्र मिश्र, मंत्री सूर्य प्रताप शाही, राकेश सचान, महापौर गिरीश पति त्रिपाठी, विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, रामचंद्र यादव, अभय सिंह, चंद्रभानु पासवान आदि मौजूद रहे।