🔸 अयोध्या झूलनाेत्सव: श्रद्धा, परंपरा और भक्ति का अद्भुत संगम
अयोध्या, 5 अगस्त (हि.स.)। श्रावण शुक्ल एकादशी के साथ अयोध्या झूलनाेत्सव ने भक्तिमय रंग भर दिए हैं। झूलन महोत्सव की झलक श्रीसीतावल्लभ कुंज बड़े हनुमान मंदिर जानकीघाट से लेकर खड़ेश्वरी मंदिर तक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
महंत रामायणी रामश्रेष्ठ दास महाराज और स्वामी छविराम दास ने युगल सरकार की झूलन झांकी को भक्ति की ऊंचाइयों पर पहुंचाया। इस त्रेतायुगीन परंपरा की शुरुआत भगवान श्रीराम और माता सीता द्वारा मणिपर्वत में झूला झूलने से हुई थी, जो आज भी मठ-मंदिरों में जीवंत है।
हरियाली तीज से रक्षाबंधन तक चलने वाले इस उत्सव में श्रद्धालु युगल सरकार के झूलन दर्शन कर मोक्ष की अनुभूति कर रहे हैं। कहा जाता है कि जो व्यक्ति झूलन झांकी का दर्शन करता है, उसे पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है।
खड़ेश्वरी मंदिर में महंत रामप्रकाश दास महाराज के नेतृत्व में झूलन महोत्सव का भव्य आयोजन हो रहा है। “झूला झूलें अवधबिहारी संग जनकदुलारी…” जैसे गीत वातावरण को भक्तिमय बना रहे हैं। कलाकारों की प्रस्तुतियों ने महफिल में चार चांद लगा दिए हैं।
सायंकालीन आरती के बाद देर रात तक चलने वाली झांकी भक्तों के लिए आध्यात्मिक रस का केंद्र बनी हुई है। श्रद्धालुओं का तांता मंदिर प्रांगण में लगा है, और रघुवंश संकल्प सेवा ट्रस्ट के सदस्य भी सेवा में लगे हैं।
अयोध्या झूलनाेत्सव केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था और परंपरा का जीवंत उत्सव है, जो जनमानस को भक्ति के रस में सराबोर कर देता है।