बंधु तिर्की बने खेतों के साथी, हल-बैल लेकर खुद जोते खेत और की धान रोपनी
रांची, 20 जुलाई। झारखंड के पूर्व शिक्षा मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने रविवार को एक बार फिर खुद को किसान के रूप में साबित किया। उन्होंने अपने पैतृक गांव बनहोरा (रांची) में पारंपरिक तरीके से हल-बैल से खेत जोता और धान की रोपनी की।
सुबह-सुबह बंधु तिर्की पूरी किसान वेशभूषा में खेत पहुंचे और बैलों के साथ खुद ही खेत को जोतने में जुट गए। उसके बाद उन्होंने अपने हाथों से धान के पौधे रोपे, जिससे ग्रामीणों में उत्साह का माहौल बन गया।
इस मौके पर बंधु तिर्की ने कहा,
“आधुनिकता जरूरी है, लेकिन अपनी जड़ों और मिट्टी से जुड़ाव उससे भी ज्यादा ज़रूरी है। झारखंड की आत्मा खेत-खलिहानों में बसती है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि कृषि केवल आजीविका नहीं बल्कि संस्कृति और आत्म-सम्मान का प्रतीक है।
खेती-किसानी से जुड़े रहना समाज और युवाओं को अपनी पहचान की ओर लौटने का रास्ता दिखाता है।
बंधु तिर्की का यह कार्य न केवल एक जनप्रतिनिधि की जमीन से जुड़ी सोच को दर्शाता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि राजनीति और परंपरा एक साथ चल सकती है।
निष्कर्ष:
बंधु तिर्की की यह पहल साबित करती है कि धरती से जुड़कर ही सच्ची सेवा की जाती है। उनका खेत में उतरना आने वाली पीढ़ियों को खेती और संस्कृति से जुड़ाव का प्रेरणादायक संदेश दे रहा है।