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बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार यूनुस 28 मार्च को बीजिंग में मिलेंगे शी जिनपिंग से

ढाका, 13 मार्च (हि.स.)। नई दिल्ली और ढाका के बीच चल रहे तनाव के बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने चीन की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। देखना यह है कि चीन उसे कितना महत्व देता है। अंतरिम सरकार के प्रमुख (मुख्य सलाहकार) डॉ. मोहम्मद यूनुस इस महीने के अंत में चीन का दौरा करने वाले हैं। उनके कार्यक्रम में कोई फेरबदल नहीं हुआ तो वह 28 मार्च को बीजिंग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। दोनों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर भी चर्चा हो सकती हैं।

ढाका ट्रिब्यून अखबार की खबर के अनुसार, मोहम्मद यूनुस के साथ बैठक में शी जिनपिंग वैश्विक विकास पहल (जीडीआई), वैश्विक सुरक्षा पहल (जीएसआई) और वैश्विक सभ्यता पहल (जीसीआई) चर्चा कर सकते हैं। बदली हुई परिस्थितियों में ढाका यूनुस की इस यात्रा को काफी महत्व दे रहा है। बांग्लादेश विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ढाका मुख्य सलाहकार की चीन यात्रा को बहुत महत्वपूर्ण मानता है। इस यात्रा की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। बीजिंग में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और मुख्य सलाहकार के बीच बैठक होगी। इसके अतिरिक्त मुख्य सलाहकार बोआओ फोरम फॉर एशिया को संबोधित करेंगे। मुख्य सलाहकार को 25 से 28 मार्च तक चीन के हैनान प्रांत में आयोजित होने वाले बोआओ फोरम फॉर एशिया सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। चीन के राष्ट्रपति के साथ बैठक की पुष्टि के बाद उनकी यात्रा को अंतिम रूप से दिया गया है।

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं। एक अधिकारी ने कहा कि विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने जनवरी में चीन का दौरा किया था। हुसैन ने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में उच्चस्तरीय चर्चा की थी।

बांग्लादेश के अधिकारियों का कहना है कि चीन बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। इसके अलावा चीन के निवेशक बांग्लादेश में रुचि रखते हैं। इस यात्रा के दौरान निवेश संबंधों पर मुख्य ध्यान दिया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि कूटनीति कभी स्थिर नहीं होती। आज जो देश मित्रवत हैं, वह कल हितों या अन्य कारकों के आधार पर अपना रुख बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए पांच अगस्त से पहले भारत बांग्लादेश के साथ मिलकर काम करता था, जबकि अमेरिका के साथ उसके संबंध कम मधुर थे। अब स्थिति बदल गई है। भारत के साथ बांग्लादेश के संबंध कुछ हद तक असहज हो गए हैं। अंतरिम सरकार ट्रंप प्रशासन के साथ भी संवाद बढ़ा रही है।

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