जगदलपुर, 22 अक्टूबर (हि.स.)। बस्तर में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। नदी और तालाब के किनारे पूजा स्थल की सफाई, रंगाई-पोताई और सजावट की जा रही है।
पर्व की तिथियां और आयोजन
वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष छठ पूजा 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक मनाई जाएगी।
- 25 अक्टूबर: नहाय-खाय, व्रती सुबह सूरज निकलने से पहले पवित्र नदी में स्नान करते हैं। घरों में सफाई और प्रसाद की तैयारी की जाती है।
- 26 अक्टूबर: खरना, जिसमें गुड़ की खीर और रोटी बनाई जाती है। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।
- 27 अक्टूबर: अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। व्रती निर्जला उपवास रखते हैं और बांस के सूप में फल, ठेकुआ और मिठाई अर्पित करते हैं।
- 28 अक्टूबर: उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। इस दिन व्रती सात या ग्यारह परिक्रमा करते हैं।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा में छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा की जाती है। यह पर्व संतान के जीवन की सुख-समृद्धि की कामना और प्रकृति के प्रति आस्था का प्रतीक है। स्कंद पुराण में उल्लेख है कि इस दिन से छठी मैया की कृपा व्रतियों पर होती है।
तैयारी और उत्साह
शंकर झा के अनुसार, बस्तर में छठ पूजा की तैयारी में सभी गांव और शहर के लोग शामिल हैं। नदी-तालाब किनारे सफाई, प्रसाद की तैयारी और पूजा स्थल की सजावट में श्रद्धालु जुटे हैं। यह पर्व लोक आस्था और सामूहिक भक्ति का अद्भुत उदाहरण है।