Thu, Mar 13, 2025
32 C
Gurgaon

इस बार भी होली पर बाहरी गुलाल को टक्कर देंगी ग्रामीण महिलाएं, बढ़ाएंगी स्वावलंबन की दिशा में बड़ा कदम

बेमेतरा 13 मार्च (हि.स.)। इस बार होली को लेकर बिहान समूह से जुड़े महिलाओं के द्वारा हर्बल गुलाल तैयार किया गया है। स्व सहायता समूह की स्वरोजगार से जुड़ी महिलाएं दिन-रात महनत कर हर्बल गुलाल तैयार किए । इस गुलाल को लगाने से जहां चेहरे पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। महिला स्वयं सहायता समूह के जरिए तैयार किए जा इन हर्बल गुलाल और हर्बल रंग की कई विशेषताएं हैं । इसमें फूलों के रंग का इस्तेमाल किया जाता है । इतना ही नहीं गुलाल और रंग में महक के लिए भी फूलों का ही इस्तेमाल किया जाता है। इसमें किसी भी तरह का केमिकल नहीं मिलाया जाता है, जो नुकसान करें। यही वजह है कि इस गुलाल और रंग की डिमांड ज़िले सहित आसपास के ज़िलो में से भी आ रही है। वहीं, महिलाओं को घर बैठे स्वरोजगार भी उपलब्ध हो रहा है ।

छत्तीसगढ़ के बेमेतरा ज़िले के ब्लॉक साजा ग्राम पंचायत महीदही जय मां सिद्धि महिला स्व-सहायता समूह की महिलायें भी हर्बल गुलाल बनाने में जुट हैं । समूह की सचिव पार्वती साहू ने बताया कि पिछले साल होली में 30 किलो हर्बल गुलाल महिलाओं ने बनाया । जिसकी काफ़ी माँग रही। उन्होंने कहा कि पिछले, 20 और 50 रुपये के हर्बल गुलाल के पैकेट बनाए थे। इस बार समूह की महिला सदस्यों ने हर्बल गुलाल ज़्यादा बनाए जाने का लक्ष्य रखते हुए 95 किलो हर्बल गुलाल बनाया गया है। इस बार 50 और 110 रुपये का पैकेट बनाया गया है। उन्होंने बताया कि पालक, लालभाजी, हल्दी, जड़ी-बुटी व फूलों से हर्बल गुलाल बनाने का कार्य कर रही।

इसके अलावा मंदिरों के से निकलने वाली इस्तेमाल किए हुए फूल पत्तियों को सुखाकर प्रोसेसिंग यूनिट में पीसकर गुलाल तैयार किया जाता है। गुलाब, गेंदे, स्याही फूल के साथ चुकंदर, हल्दी, आम और अमरूद की हरी पत्तियां को भी प्रोसेस किया जाता है। महिलाओं ने बताया कि एक किलो हर्बल गुलाल बनाने में करीब 75 रुपये खर्च आ रहा है। गुलाल को बनाने में वे पालक, चुकंदर, सिंदूर आदि का उपयोग करती है। इस गुलाल के प्रयोग से किसी तरह का त्वचा को नुकसान नहीं होगा। इसलिए क्षेत्र के लोग भी इसमें रुचि दिखा रहे हैं। हमारा प्रयास है कि लोगों को हर्बल गुलाल के फायदे को समझाएं ताकि लोग इन्हें अपनाएं।

महिला स्व सहायता समूह द्वारा इस वर्ष की होली के लिए पालक,लालभाजी, हल्दी. फूलों से हर्बल गुलाल बना रही है। उनके द्वारा वर्तमान मे पीला, संतरा, लाल एवं चंदन रंग के गुलाल का निर्माण किया जा रहा है, जिसका विक्रय स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा कलेक्ट्रेट सहित अन्य स्थानों पर स्टॉल लगाकर किया जा रहा है ।

Hot this week

Ratan Tata ने अपनी वसीयत में पेटडॉग का भी रखा ध्यान, जानिए अब कौन करेगा Tito की देखभाल

 हाल ही में देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने...

गंगा नदी के हालात का आकलन करने के लिए पर्यावरणविदों का विशेष अभियान

कोलकाता, 25 जनवरी (हि.स.)कोलकाता की एक पर्यावरण संस्था ‘मॉर्निंग...
spot_img

Related Articles

Popular Categories