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ज्ञान आधारित विश्वगुरु बनने की राह: प्राचीन ग्रंथों के डिजिटलीकरण की ऐतिहासिक पहल

भारत को ज्ञान आधारित विश्वगुरु बनाने के सपने को साकार करने की दिशा में एक नई पहल की गई है। काशी में देश का पहला शास्त्र संग्रहालय एवं अनुसंधान केंद्र शुरू हुआ है। इस केंद्र का उद्देश्य है—वेद, उपनिषद, पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों का डिजिटलीकरण करना और उन्हें युवाओं व शोधकर्ताओं तक पहुँचाना।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस परियोजना को भारत के सांस्कृतिक जागरण का अहम हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि इन ग्रंथों में केवल धार्मिक बातें नहीं बल्कि विज्ञान, जीवनशैली और दर्शन के अमूल्य ज्ञान भी छिपे हैं। इन्हें सुरक्षित और डिजिटल रूप में उपलब्ध कराना आवश्यक है।

शिंदे ने बताया कि AI तकनीक के माध्यम से इन ग्रंथों को विभिन्न भाषाओं में आमजन तक पहुँचाया जाएगा। इस परियोजना में केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ RSS का सहयोग भी महत्वपूर्ण है।

उन्होंने ठाणे जिले से इस अभियान की शुरुआत को भी ऐतिहासिक बताया, जहां 60,000 से अधिक दुर्लभ ग्रंथ संरक्षित किए जाएंगे। गुरुपूर्णिमा से यह कार्य औपचारिक रूप से शुरू होगा।

युवाओं की भूमिका पर बोलते हुए शिंदे ने कहा, “अगर युवा इस ज्ञान को अपनाएं, तो भारत को फिर से आध्यात्मिक और बौद्धिक शक्ति बनाया जा सकता है।” उन्होंने यह भी बताया कि नई शिक्षा नीति में इन ग्रंथों को पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना है।

यह पहल केवल संग्रहालय तक सीमित नहीं, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक ठोस कदम है। भारत की वैज्ञानिक सोच और सांस्कृतिक चेतना को पुनर्स्थापित करना इस मिशन का लक्ष्य है।

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