बीएचयू अनुसंधान अवसंरचना को बढ़ावा
वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) जल्द ही अपने सदस्यों से प्रमुख अनुसंधान सुविधाओं के लिए प्रस्ताव आमंत्रित करेगा। इस पहल का उद्देश्य बीएचयू अनुसंधान अवसंरचना को और सशक्त बनाना है और विश्वविद्यालय के शोध प्रयासों को मजबूती देना है।
कुलपति की पहल
कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि उत्तम विज्ञान के लिए निवेश आवश्यक है। यह न केवल संसाधनों के रूप में, बल्कि प्रतिभावान छात्रों, शिक्षकों और उच्च स्तरीय अनुसंधान संस्कृति के रूप में भी होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस पहल से विश्वविद्यालय की बीएचयू अनुसंधान अवसंरचना को नए स्तर तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
प्रस्ताव आमंत्रण
इस योजना के अंतर्गत 25 लाख रुपये तक के प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा। कुलपति ने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे परंपरागत सोच से आगे बढ़ें और ऐसे आइडियाज पेश करें जो विश्वविद्यालय की अनुसंधान यात्रा में “गेम चेंजर” साबित हो सकें।
प्रस्तावों के क्षेत्र
प्रस्ताव विज्ञान और नवाचार परियोजनाओं, अंतःविषय अध्ययनों, फैब्रिकेशन, विश्लेषणात्मक या कैरेक्टराइजेशन सुविधाओं, उन्नत सॉफ्टवेयर सिस्टम और उच्च स्तरीय अनुसंधान को प्रोत्साहित करने वाली पहलों के लिए खुले हैं।
गौरवशाली विरासत
कुलपति ने भूविज्ञान विभाग की 103वीं वर्षगांठ पर इसके संस्थापक प्रो. के. के. माथुर के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रो. माथुर ने सीमित संसाधनों के बावजूद विभाग को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। यह विश्वविद्यालय के बीएचयू अनुसंधान अवसंरचना को मजबूत करने की प्रेरणा देता है।