नई दिल्ली, 1 जुलाई (हि.स.)
वक्फ कानून को लेकर तेजस्वी यादव के विवादास्पद बयान पर भाजपा ने तीखा हमला बोला है। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को संविधान नहीं, बल्कि शरिया कानून चाहिए। उन्होंने तेजस्वी को “नमाजवादी” करार देते हुए कहा कि वह संविधान की मूल भावना का अपमान कर रहे हैं।
📌 क्या कहा भाजपा ने?
गौरव भाटिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “तेजस्वी यादव कह रहे हैं कि संसद द्वारा पारित वक्फ संशोधन कानून को कूड़ेदान में डाल देंगे। ये लोग तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं, इन्हें केवल एक धर्म विशेष का सशक्तिकरण चाहिए।”
- भाजपा ने आरजेडी पर “जंगलराज” और “संविधान विरोधी रवैये” का आरोप लगाया।
- उन्होंने यह भी कहा कि “नमाजवादी, बाबा साहेब का संविधान नहीं चाहते। इन्हें हलाला, तुष्टिकरण और शरिया चाहिए।”
⚖️ पृष्ठभूमि: वक्फ और विवाद क्या है?
- हाल ही में वक्फ संपत्तियों और अधिकारों को लेकर कई राज्यों में वक्फ बोर्डों के दावे विवादों में हैं।
- भाजपा का आरोप है कि वक्फ एक्ट का दुरुपयोग करके सार्वजनिक संपत्तियों पर अधिकार जमाया जा रहा है।
- तेजस्वी यादव ने कथित रूप से कहा कि “वक्फ संशोधन कानून को कूड़ेदान में फेंक देंगे”, जिससे भाजपा आक्रामक हो गई।
📘 तेजस्वी यादव और आरजेडी से जुड़े बिंदु (SEO Add-on)
🔸 तेजस्वी यादव धर्म:
तेजस्वी यादव हिंदू धर्म से ताल्लुक रखते हैं, परंतु वे धर्मनिरपेक्ष राजनीति के पक्षधर माने जाते हैं।
🔸 तेजस्वी यादव पार्टी:
राष्ट्रीय जनता दल (RJD), बिहार में मुख्य विपक्षी दल। पार्टी का नेतृत्व लालू प्रसाद यादव कर रहे हैं।
🔸 तेजस्वी यादव विवाद:
- वक्फ कानून पर टिप्पणी
- ‘जंगलराज’ की विरासत
- जातिगत जनगणना पर आक्रामक रुख
- नीतीश कुमार पर बार-बार हमले
🧭 लोकसभा चुनाव 2024 की पृष्ठभूमि में बयान के मायने
- भाजपा इस बयान को चुनाव से पहले हिंदू वोटबैंक को साधने की रणनीति मान रही है।
- एनडीए विपक्ष पर “तुष्टिकरण, कट्टरपंथ, और शरिया के समर्थन” के आरोप लगातार तेज कर रहा है।
❓ तेजस्वी यादव ने क्या वाकई शरिया कानून की बात की?
तेजस्वी ने सीधे “शरिया कानून” की बात नहीं की, लेकिन वक्फ एक्ट को खारिज करने की बात भाजपा को एक संवैधानिक व्यवस्था के विरुद्ध कथन प्रतीत हुई, जिससे ‘शरिया की मांग’ जैसी व्याख्या को बल मिला।
📍 निष्कर्ष
वक्फ कानून पर तेजस्वी यादव के बयान ने भाजपा को एक बड़ा राजनीतिक हथियार दे दिया है। आगामी चुनाव से पहले संविधान बनाम शरिया जैसे विमर्श को भाजपा तेज कर सकती है। वहीं, आरजेडी को अपने स्टैंड को साफ करने की जरूरत है ताकि धर्मनिरपेक्षता और तुष्टिकरण के बीच की रेखा धुंधली न हो।