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कृषि विभाग में क्लर्क की नौकरी के लिए सामने आया फर्जी नियुक्ति पत्र, एफआईआर दर्ज

शिमला, 04 अप्रैल (हि.स.)। कृषि विभाग में क्लर्क की नौकरी के लिए फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करने का मामला सामने आया है। इस संबंध में पुलिस थाना छोटा शिमला में भारतीय न्याय संहिता की धारा 319(2), 318(4), 336(2) और 336(3) के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह एफआईआर कृषि विभाग के उप सचिव की शिकायत पर दर्ज की गई है।

व्हाट्सएप के जरिए हुआ खुलासा

शिकायतकर्ता के अनुसार यह मामला तब सामने आया जब कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक को 19 मार्च को व्हाट्सएप पर एक फर्जी नियुक्ति पत्र मिला। यह पत्र उनके नाम से जारी किया गया था और इसमें अनिश कुमार निवासी कांगड़ा को कृषि विभाग में नियुक्ति देने की बात कही गई थी।

अनुबंध पर नियुक्ति लेकिन पत्र में दर्शाई गई स्थायी नियुक्ति

शिकायत के अनुसार इस फर्जी पत्र में अनिश कुमार को लोअर डिवीजन क्लर्क (एलडीसी) पद पर नियुक्त करने का उल्लेख किया गया जबकि कृषि विभाग में ऐसा कोई पद अस्तित्व में नहीं है। वर्तमान में इस पद को क्लर्क के रूप में स्वीकृत किया गया है जिसे अब जूनियर ऑफिस असिस्टेंट (आईटी) के रूप में पुनः नामित किया गया है। इसके अलावा पत्र में नियुक्ति को नियमित बताया गया जबकि वर्ष 2007 से सरकार द्वारा सीधे भर्ती किए गए तृतीय श्रेणी पदों की नियुक्ति अनुबंध आधार पर की जाती है। इस फ़र्ज़ी नियुक्ति पत्र को लेकर कृषि विभाग का काम सम्भाल रहे एक ठेकेदार की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

फर्जी दस्तावेज में कई विसंगतियां

शिकायतकर्ता के अनुसार इस फर्जी नियुक्ति पत्र में कई अनियमितताएं थीं। इसमें विभाग के नाम की मोहर “कृषि निदेशालय, कृषि भवन बालूगंज, शिमला” के नाम से लगाई गई थी। जबकि इस प्रकार के पत्रों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इसके अलावा पत्र के अंत में हस्ताक्षर किए गए थे, जबकि निदेशालय की मोहर लगे पत्रों में इस प्रकार हस्ताक्षर नहीं किए जाते। शिकायतकर्ता ने यह भी बताया कि 1 नवंबर 2024 को उनका पदोन्नति आदेश जारी हो चुका है और वे उप सचिव (कृषि) के पद पर कार्यरत हैं। लेकिन इस फर्जी पत्र में उन्हें अवर सचिव (कृषि) के रूप में दर्शाया गया।

अन्य फर्जी नियुक्तियों की आशंका

शिकायतकर्ता अधिकारी ने संभावना जताई है कि इस प्रकार के अन्य फर्जी नियुक्ति पत्र भी जारी किए गए हो सकते हैं। उन्होंने 22 मार्च को इस संबंध में स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो शिमला को भी पत्र लिखा था। इसके बाद उन्होंने छोटा शिमला थाने में शिकायत की।

शिमला पुलिस कर रही जांच

पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है और दोषियों की पहचान करने में जुटी है। प्रारंभिक जांच में यह मामला सरकारी दस्तावेजों की जालसाजी और धोखाधड़ी का सामने आ रहा है। वहीं कृषि विभाग ने भी इस मामले में आंतरिक जांच बिठा दी है।

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