कोलकाता, 23 मई (हि. स.)। राज्य संचालित कोलकाता राज्य परिवहन निगम (सीएसटीसी) द्वारा सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भविष्य निधि (पीएफ) की राशि न चुकाने के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। न्यायमूर्ति अरिंदम मुखर्जी की एकल पीठ ने गुरुवार को सीएसटीसी कर्मचारी भविष्य निधि ट्रस्ट के अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस के नेता मदन मित्रा समेत राज्य सरकार और सीएसटीसी के कई अधिकारियों के खिलाफ अवमानना का आदेश जारी किया।
जारी आदेश में कहा गया है कि सभी संबंधित अधिकारी चार जुलाई को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश हों और यह स्पष्ट करें कि भविष्य निधि भुगतान में देरी क्यों हुई। साथ ही उन्हें यह भी बताना होगा कि क्यों उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई शुरू न की जाए।
उल्लेखनीय है कि जुलाई 2024 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने उन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को तत्काल पीएफ भुगतान करने का आदेश दिया था, जिन्होंने रिटायरमेंट के काफी समय बाद भी बकाया राशि न मिलने पर अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इसके बावजूद अदालत के आदेश की अनदेखी की गई, जिसके चलते दिसंबर 2024 में कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई।
फरवरी 2025 से इस मामले की सुनवाई चल रही थी। अदालत ने बार-बार चेतावनी देने के बावजूद जब भुगतान नहीं हुआ, तो अंततः गुरुवार को संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी कर दिया।
न्यायालय ने यह भी सवाल उठाया कि जब स्पष्ट आदेश पहले ही दिया जा चुका था, तब भी संबंधित कर्मचारियों को उनकी पीएफ राशि क्यों नहीं मिली। अदालत की इस सख्ती से सीएसटीसी और राज्य सरकार के बीच कामकाज की पारदर्शिता पर भी सवाल उठने लगे हैं।




