डीएनए रिपोर्ट से मिला न्याय
चंपावत जिले के बाराकोट ब्लॉक के एक गांव में विधवा महिला द्वारा लगाए गए दुष्कर्म के आरोप से देवर को अदालत ने बरी कर दिया। मामला वर्ष 2024 का है, जब महिला की तहरीर पर लोहाघाट पुलिस ने आरोपित त्रिभुवन चंद्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
सुनवाई और डीएनए टेस्ट
मामला जिला न्यायालय चंपावत में विचाराधीन रहा। इसी दौरान महिला गर्भवती हो गई और उसने बच्चे को जन्म दिया। आरोपित के अधिवक्ता विजय कुमार राय ने अदालत से डीएनए टेस्ट कराने की मांग की। कोर्ट ने इसे स्वीकार किया और जांच में आरोपित निर्दोष साबित हुआ।
अदालत का फैसला
जिला सत्र न्यायाधीश अनुज कुमार संगल की अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद संदेह का लाभ देते हुए आरोपी को बरी कर दिया। साथ ही, अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से निःशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराने का भी उल्लेख किया।
आरोपी की पीड़ा
फैसले के बाद त्रिभुवन चंद्र ने अदालत और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का आभार जताया। उन्होंने कहा कि झूठे मुकदमे के कारण उन्हें 8 माह जेल में रहना पड़ा, जिससे उनका परिवार आर्थिक और सामाजिक संकट में डूब गया। किस्त न चुकाने पर गाड़ी फाइनेंसर ने जब्त कर ली और बच्चों का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया।
आगे की मांग
त्रिभुवन चंद्र ने पुलिस से असली अपराधी की गिरफ्तारी और झूठा मुकदमा दर्ज कराने वालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि इस मामले ने उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को गहरा नुकसान पहुंचाया है और जिंदगी को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है।