छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट ने दिया सीबीआई जांच का आदेश
रायपुर, 25 सितंबर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य स्रोत नि:शक्त जन संस्थान के नाम पर हुए लगभग 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया। अदालत ने इसे गंभीर और संगठित अपराध करार देते हुए कहा कि स्थानीय एजेंसियों या पुलिस द्वारा जांच करना उचित नहीं होगा।
घोटाले का विवरण
जस्टिस पीपी साहू और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने इस मामले को सिस्टमेटिक करप्शन बताया। आरोप है कि संस्था केवल कागजों में मौजूद थी और 2004 से 2018 के बीच राज्य को लगभग 1,000 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ। इसमें राज्य के उच्च स्तर के अधिकारियों सहित 6 आईएएस और कई अन्य अधिकारी शामिल हैं।
सीबीआई को निर्देश
कोर्ट ने सीबीआई को 5 फरवरी 2020 को भोपाल में दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच करने का निर्देश दिया। यदि एफआईआर दर्ज नहीं हुई, तो सीबीआई 15 दिनों के भीतर राज्यभर में संबंधित विभागों, संस्थाओं और कार्यालयों से प्रासंगिक रिकॉर्ड जब्त करेगी।
प्रमुख आरोपित
इस घोटाले में शामिल आरोपितों में आलोक शुक्ला, विवेक ढांड, एमके राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल और पीपी सोती शामिल हैं। विवेक ढांड 1981 बैच के आईएएस और राज्य के पूर्व मुख्य सचिव रहे हैं। एमके राउत भी कई महत्वपूर्ण विभागों के सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव रह चुके हैं।
निष्कर्ष
अदालत ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई थी, इसलिए स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच आवश्यक है। सीबीआई जल्द से जल्द निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच पूरी करने का प्रयास करेगी।